आर्योंदय काव्यम | Prayodhya Kavyam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डॉजिशान खेग: रे
ग्राम स आसोद पनबांश्व विदवान ,
राज्यस्य मान्यो जनवमंपूज्यः +
प्रभाश्वगा शस्पधनप्रपन्नः ,
स्वदेश-देशेश महेशपक्तः ॥८॥
वह गाँव से घनवान ओर विद्वान था। राज्य में उसका मान
था और लोगों में भी बह पूज्य समझा जाता था। प्रजा, घोड़े:
गो, अन्न, घन से सम्पन्न था। वह देश-भक्त, राज्ञा-भक्त ओर
इश्वर-मक्त भी था |
कृति: शुभा कापि नरेश तेन,
व्यधायि नून॑ किल् पूर्वयानों ।
यधयाः फल भाष्य हि भाग्यशाली
साउपूर्व पु सः जनकत्वभाष 1९%)!
इस मनृप्य ने पिछली योनि मे कद ऐसा शुभ कस किया
था कि जिसके फल का पाकर यह भाग्यशाली मनुष्य एक अपूर्ल
महापुरुष का पिता बन गया |
संवत्सरे ए्लावयुमिद्धि चन्द्र ,
सीपन्तिनी सद्यनि कपंणस्य ।
भद्र॑ दिने पुण्यतिथों सुघटयां,
ददों जरनि वालप्रबालभासम_॥१०॥
&द!
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