आर्योंदय काव्यम | Prayodhya Kavyam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : आर्योंदय काव्यम  - Prayodhya Kavyam

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गंगाप्रसाद उपाध्याय - Gangaprasad Upadhyaya

Add Infomation AboutGangaprasad Upadhyaya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
डॉजिशान खेग: रे ग्राम स आसोद पनबांश्व विदवान , राज्यस्य मान्यो जनवमंपूज्यः + प्रभाश्वगा शस्पधनप्रपन्नः , स्वदेश-देशेश महेशपक्तः ॥८॥ वह गाँव से घनवान ओर विद्वान था। राज्य में उसका मान था और लोगों में भी बह पूज्य समझा जाता था। प्रजा, घोड़े: गो, अन्न, घन से सम्पन्न था। वह देश-भक्त, राज्ञा-भक्त ओर इश्वर-मक्त भी था | कृति: शुभा कापि नरेश तेन, व्यधायि नून॑ किल् पूर्वयानों । यधयाः फल भाष्य हि भाग्यशाली साउपूर्व पु सः जनकत्वभाष 1९%)! इस मनृप्य ने पिछली योनि मे कद ऐसा शुभ कस किया था कि जिसके फल का पाकर यह भाग्यशाली मनुष्य एक अपूर्ल महापुरुष का पिता बन गया | संवत्सरे ए्लावयुमिद्धि चन्द्र , सीपन्तिनी सद्यनि कपंणस्य । भद्र॑ दिने पुण्यतिथों सुघटयां, ददों जरनि वालप्रबालभासम_॥१०॥ &द!




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now