आलम केलि | Aalam Keli

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Aalam Keli by भगवानदीन - Bhagawanadeen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हु श्ः का 9३ * ३५२२४ ् ह्छूड ६ $ 202 कर | झाली चलि प्यूनरि .पहद्िरि हरियारी भूमि, * ; तेरे . चमफत चपलाऊ घचपि जाइदे औरनि 'फे आये बनि और आइहे 1४ ही तो आइहहो न यहः-बेरी पति आइदै॥२३॥ ज्ञागन दे जोन्द्र सोरो लागन दे !रात-जैसे, आग सारी: सेत में संधात की भ जानिएदे-1 अधथये की भोर परी साथ सीज,मो/ सी नारि, : * आतुरी न द्वोह, “यह चातुरी- की खानिदे। घृंघट ते: 'सेख? 'मुत्र/ जोति न -घटगी छिल्ल , 5 औनो पद. वयारिये. कलक पहलानिह । तू तो जाने दछानी',पे न छानी या रहैगी बीर, छाती छुषि मेनन फी काको ' लोह-छानिदैः ॥२७॥ हज न्स्किकीफेंस >- 1 -.. * आनिनी «४ ) > कट समुद फो पार है- सुभूमि है को बारें है पे, प्रीति की न पार बार कौन विधि फी जिये । 'सेखः कहे देखे अनदेख्योई करत कैएूँ,', । ए. अं भरि मेंटे' है दियोग - रंस भीजिये। १--छानोटरी की हुईं। ' २--छामी उन छुत कर मिकली बी हर >छानिदे-पियेगी | ४-बार्ूद्योर, प्रंत्त.. * 1 के




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