जवानो | Javaano

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Javaano by भगवानदीन - Bhagawanadeen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आत्मा की झाजादी एक राज तुमने खूब काम किया है, इतना कि बदन थककर चूर हो गया है. किया है, तो ठीक किया है. काम कर डालनेकी खुशी भी है, पर वह निकल तो पा ही नहीं रही, उसको दबाकर बंठ गई हे अनेकों चुड़ेले, घरकी श्रौरत नहीं, वे भूतकी बहन भी नहीं, जो श्रादमी के श्नगढ़ दिमागने गढ़ रखी हे. वह हे चिन्ता चुड़ेल ! विन्ताएं किस बातकी ? --यही नोन-तेल-लकड़ीकी. जवानीका नवशा खीचते समय किसी गाव- के कविने ठीक ही कहा है : भूल गये राग-रांग, भूल गये छुकड़ी . तीन चोज याद रहीं, नोन-नेल लकड़ी, हां, वे चुड़ेलें बेशक घेरे हुए हैं. क्या वे सबको घेरे हुए हें ? नहीं, सबको तो नहीं, पर बहुतोंको. कुछको बिल्कुल नहीं ? तुम उन कुछ- मे शामिल क्यों नहीं हो जाते ?. तुम उन बहुतोंकी क्यों नकल करते हो, जो चुड़लोंसे श्रांख लड़ा बंठ है? वे चुड़ेल हैं, सही, पर बे बिना बुलाए नहीं श्रातीं, जो नहीं बुलाता, उसके पास नहीं फटकतीं. इतना




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