बुद्धशासनसुभाषित | Buddhashasanasubhashit

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Buddhashasanasubhashit by भिक्षु नागसेन - Bhixu Nagasen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जाकिथन पुस्तिका के मुख-पृष्ठ पर आ्राप बुद्धशासन सुभाषित शरद देखते हैं क्योंकि ५०० सुभाषितों मे ३२ थाई महारथबिरों के सुभाषित भी सम्मलित है । इन ५०० सुभाषितों का संग्रह त्रिपिटक से महारथविर वजिर वार धरोरस (थाई लैड के दशवें संघराज ने किया था। थाई लैड में जो ३ वर्ष का “परियत्तिधम्म? का पराठ्य-क्रम है उसमें प्रथम वर्ष में इन ५०० सुभाषितों मे से एक निवन्ध सम्बन्धी प्रश्न-पत्र होता है। थाई लोग श्रपने देनिक जीवन की बोल चाल में ऐसे सुभाषितरों का व्यवहार उसी प्रकार करते है जैसे भारत में कबीर श्रादि के दोह्ाग्रों का भारतीय । हम भारतीयो को भी इस प्रकार की सरल परन्तु सार-गर्भित वाणी का अपने देनिक जीवन का बोल-चाल मे व्यवहार करना चाहिए वेसे तो धम्मंपद की गाथाएँ सर्वोत्तम है ही और इन ५००) सुभाषितों मे भी १४३ धम्मपद से लिए गए है; परन्तु संग्रह की यह विशेषता है कि सुभाषित एक-एक पक्ति के है फल स्वरुप इनका करटस्थ करना सरलतर है। मैने अनुवाद करते हुए श्रथ्थ को स्पष्ठ करने की दृष्ठि से शब्दाथ की शअ्रपेज्ञा भावाथे पर अधिक जोर दिया है जिससे कि भाषा क्लिप न बन जाय । भिन्नु महाजविन्द्र ने मुकसे श्राग्रह किया कि श्राप हिन्दी में बौद्ध धर्म विषयक कोई एक छोटी सी पुस्तिका लिखें। उन्होने क८ा की प्रकाशन का प्रबन्ध थाई बिहार बुद्ध गया की ओर से किया जायगा ॥ पिछले वर्ष भिन्नु महाजविद्ध ने बौद्ध महासभा थाई लेड तथा नवयुवक




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