जैन बौद्ध तत्वज्ञान | Jain Bauddh Tatvagyan

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Jain Bauddh Tatvagyan by ब्रह्मचारी सीतल प्रसाद - Brahmachari Sital Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अकाशिकक्का! बच्केव्यश।॥ इस ग्रंयके प्रकाश करनेका हेतु यह है कि जगतकी हि भाषा ज्ञाता विद्वन्मंडडीको इसे बांतका निश्चय कराया जावे. प्राचीन जैनधर्म ओर बोद्ध धर्ममें किस तरहसे साम्बता है | उ* दशेनोंके माननीय अन्धोंके क्षाघारसे दोनोंकी समता अदर्शित क़रनेः काम ग्रंथोंके वाक्योंको दे कर किया गया है । यह भी उचित समझा गया कि इस अन्थको अधिकतर भेट देकर प्रचार किया जाबे जिंससे शीघ्र ही इस तत्वका प्रकाश हो ज कि जैन ओर बोढ्ध तंत्वज्ञान एक है। सागरमें जब मैंने सन्‌ १९३ में वर्षाकाल व्यतीत किया था तब ही यह ग्रंथ वहां लिखा गया था वहां दिहली निवासी धर्मात्मा छाला मिद्दनलाल ढालचेदः अग्रवाल दिगम्बर जेनका फर्म है। यह भारतके प्रसिद्ध वीड़ी व्यापारी हैं । आपसे इस अन्थके प्रकाशनके लिये कहा गया। आप सहषे अन्थके मुद्रणका व प्रकाश होनेका खच देना स्वीकार किया इस उदारताके लिये वे धन्यवादके पात्र हैं। जो कोई इस ग्रंथको खर्र ढुना चाह उनके लिये इस पुस्तकका दाम बहुत अल्प सिफ बार आना रक्‍्खा गया है। पुस्तक विक्रीसे जो दाम आवेगा वह पुर दान खाते ही जमा किया जायगा जिससे और भी पुस्तकोंका दा| किया जा सके । यह अन्थ बहुत उपयोगी है; हरएक*तत्वखोजीर पढ़कर छाभ उठाना चाहिये | ' आनन्द ) नस्ल, जांत्मधर्म सम्मेलन, चदावाड़ी-सूरत । अगास । ..ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद, व्यवस्थापक '२३-५-१९३४




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