षट्खंडागम [खंड 9] | Shatkhandagam [Part 9]
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
496
श्रेणी :
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पुष्पदन्त - Pushpadant
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सिरि-भगच॑त-पृष्फदत-भुद्वलि-पणीदो
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विरहदय-घवला-दीका-समाण्णिदो
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सिद्धा दद्धईइमला विसुद्धचुद्धी य ठद्डसचत्था ।
तिहुबणपिरसेहरया पसियंतु मडारया सब्बे ॥ १ ॥
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तिहवगमवणणसरियपच्चक्खबबोहकिरणपरिवेदी ।
उदमों वि अणत्यवणो अरहंत-दिवायरो जयऊ ॥ रे ॥|
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आठ कर्मरुपी मकों जल देनेवाले, विशुद्ध बुद्धिसे संगुक्त, समस्त पदार्थोको
जाननेवाडे, तथा तीन कोकके शिखरपर स्थित ऐसे सब सिद्ध भद्दारक प्रसन्न हेविं॥ १॥
जिसका प्रत्यक्ष शानरूपी किरणोंका मण्डल त्रिभुवनरूप भवनमें केला हुआ है,
तथा जो उद्त द्ोता हुआ भी अस्त होनेसे रहित दे, ऐसा अरहन्तरूपी खूब जयवन्त
दोवे ॥ २॥
कु, फू, १७
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