अकलंकग्रन्थत्रयम् | Akalangagranthtrayam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
384
श्रेणी :
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No Information available about महेंद्र कुमार न्यायशास्त्री - Mahendra Kumar Nyay Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सम्पादकीय- ५
इस टिष्पणसम्रह में मुद्रित दारीनिकम्रन्थों के सिवाय ग्रमाणवार्तिक, प्रमाणवार्ति-
का्ंकार, प्रमाणवार्तिक लोपनवृि, प्रमाणवार्तिकस्ववृत्तिटीका ्रमाणवार्तिकमनोरथनन्दि-
नीटीका, देतुविन्दु, हेतुविन्दुटीका, मोझ्ककरीय तर्कभापा, सिद्धिविनिश्चयर्टीका से उद्भ्रत
मूल सिद्धितिनिश्चय, नयचऋृत्ति आदि अलम्य लिखित तथा प्रफ्युत्तकों का विभिष्ट
उपयोग किया गया है | इस तरद्द प्रस्तुत प्रन्यत्रय की यावत् ऐतिहासिक और ताजिक
सामग्री के संग्रह करने का समन प्रयत्ञ किया है |
टिप्पण में जिस ग्रन्थ का पाठ दिया गया है उस ग्रन्य का नाम [| _] इस
ज्रेकिट में दिया गया है, शेष द्रष्टव्य अन््यों के नाम ब्रेकिट के बाहिर दिए हैं ।
परिशिष्ट-इस संत्करण में € मद्तपूर्ण परिक्षिष्ट लगाए हैं। इन अन्थो की
कारिकाओं के आघे भाग भी अन्य ग्रन्थों में उद्धृत पाए जाते है, अतः कारिकाओ के
आधे आघे भागो का अनुक्रम वनाया है, जिससे अलुक्रम वनाने का उद्देश सर्वाश में
सफल हो |
१-लघीयश्षय के कारिकाध का अकारादिक्रमसे अनुक्रम ।
२-लघीयखस्नय में आए हुए अवतरणवाक्यो का अनुक्रम ।
३-न्यायबिनिश्चय के कारिका का अलजुक्रम |
४-प्रमाणसंग्रह के कारिकाम का अनुक्रग ।
४-अमाससंप्रद के अवतरण॒वाक्यों की सूची ।
६-लघीयद्यादिप्रन्थत्रय के सभी छाक्षणिक और दाशैनिक शब्दों की सूची |
७-टिप्पणसंग्रह में उपयुक्त ग्रन्थो के सक्रेत का विवरण तथा स्थलनिदेश |
८-टिप्पणनिर्दिष्ट आचारयों की सूची |
६-अकलंकदेव के नाम से अन्य ग्रन्थों मे उद्घृत उन गधपथमार्गों की सूची,
जो प्रस्तुतप्रन्थत्रय में नहीं है। इसमें उन्हीं गध्पचभागों का संग्रह किया है, जिन्हे
प्रन्यकारों ने अकटंककर्तकरूप से उद्धृत किया है ।
प्रस्तावना-इसके दो विभाग किए है-पहिला प्रन्थकार से सम्बन्ध रखता है,
तथा दूसरा ग्रन्थों से ।
ग्रन्यकार विभाग में अकरुंकदेव के समवनिर्णय के लिए उपयोगी नवीन सामग्री
का संकलन है। इसमें प्रन्यों का आन्तरिक परीक्षण कर उन विशिष्ट एवं तथ्य विचारों
का चयन दे जिनके आधार से विचार करने पर ग्रन्थकार के इतिहास विवेचन में खासी
मदद मिलेगी । अभी तक के इस दिशा में हुए प्रयत्ञ बाह्यनिरीक्षण से अधिक सम्बन्ध
रखते हैं ।
अन्यविमाग में ग्न्धो का चाह्मलरूप, उनका श्रकंककर्त्च, उनके नाम का
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