वेद्मंदिर प्रवेशिका | Vedmandir Praveshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३ सूमिका
गम्मीर वैद्विक प्र्योका निर्माण भी: किया था »। दुर्भाग्यसे
मारतमें एक भी त्ेद-मन्दिर न-बचा । यह अमाव इमारे
अद्वेबचरण मुझ-क्ा बेद द्नाचार्य ” मद्रामण्डछेशखर * स्वामी
गइगेश्नरानन्दजी महाराजफों बहुत सखर रहा या। अवप्तर हाथ
जाते द्वी, इन्होंने' अहमदाबाद एक विशज्ञाल वेद-मन्दिर स्थापित
कर दिया | यदिक विद्वार्नोफ़ों इमसे महता प्रश्नन्नता हुईं। पण्डित
+श्रीपाद (दामोदर चातयलेसर! ने तो यद्दों तक कह्ठा कि श्री
स्वामीजीने भारतकी एक बड़ी कमी ही दूर नहीं की, बल्कि
विश्व्में मारतीयोंक्रा सिर उन्नत कर दिखाया |
1. महाराजश्रीने वैदिक ग्रचारमे अपना तो पूर्ण जीवन अर्पित
जया द्वी है; हम छोगों पर भी वह्दी अनित्रार्य अत-पाठन
रखा दे । )
+ आपके रसदुपदेशका द्वी फठ दें कि आज अहमदाबादके
ससंगियोमें वैदिझ सादिलफा चिर छृप्त ग्रेम जाग उठा &॥
पिश्ेपत् प्रवर प्रतिमाशाडी बक्रीठ भाई एल्शइर सुन्दर
देमाई (अहमदात्ाद) महाराजश्राके चरणोंमे अटठ भक्ति तथा
श्रौत साहित्यम्रें अगाघ श्रद्धा रखते थे | प्राय नित्य ही चदिक
प्रकाशनसा भड्डल्प प्रसट किया बरते थे। अपने सद्धल्प उल्प-
पादपकी अविरठ सफ़छताक लिए माईने ता० ३-४-१९४५
० में अपने एक मान [म्यु० छे० न० १९७७, १९७७/१,
१९७७/१/१, १९७७/२, १९७७/३ मारगपुर अद्मदावाद ]
पर दुस्टे-कमेटी बनाते हुए डिखा कि-- बैद और दहन
> निषण्ड निर्माण देखो इसी पुल्तकझ्ा पृ० १३ 1
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