द्विबिन्दु वर्गीकरण का संक्षिप्त परिचय | Dwibindu Vargikaran Ka Sankshipt Parichy
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सामान्य एकल प
यदि कोई पत्रिका कसी शिक्षित सस्था द्वारा प्रकाशित होती है ती प्रथम
प्रकाशन तिथि के स्थान पर सस्था का स्थापना वर्ष दिया जाता है जैस्षे--
नागरी प्रचारिशी समा पत्रिका 0152णी४/93
(1893 नागरी प्रचारिणी समा का स्थापना वर्ष )
सामास्य एकल #/ व ३7 का प्रयोग समास रूप से होता है गत इनके
पारस्परिक अन्तर को समभ लेना झ्रावश्यक हैं। साधारणत ७ जीवनी के लिए तया
%7 जीवन अध्ययन के लिए प्रयोग होता है। जीवनी के सूत्र के प्रमुसार आत्मकथा
के लिए, 1, वचनामृत के लिए 2 तथा पत्रावली के लिए 4 झ्को का प्रयोग काल
अक के पश्चात् झल्पविराम चिन्ह के साथ किया जाता है जैसे --
शि० रा० रगनाथन की जीवनी 29062
मेरी कहानी-जवाहरलाल नेहरू २44 ४४89,1
परम हस के वचनाम्ृृत &2छी73,2
किसी व्यक्ति की जीवनी किमी विषय विशेष से सबधित न ही भ्रथवा एक
ही पुस्तक मे भ्रनेक व्यक्तियो की जीवनिया हो ठी इस प्रकार के ग्र थ सामान्य वर्ग मे
ही रखे जाते हैं ।
किसी राजर्नतिक, ऐतिहासिक व्यतित जैसे राजा, अ्रध्यक्ष, मत्री ससद सदस्प व
किसी राजनैतिक दल के नेता के जीवन संबंधी विषय सामग्री को उस विषय से सबधित
वर्गा क के साथ रखनी चाहिऐ तथा वहा » के स्थान पर ५7 का प्रयोग होता है
जैसे --
प्रधान मत्नी मुरारजी देसाई- एक अध्ययन ४44,24५71/96
नेपोलियन का चरित्र ५५३,1४71.69
राममनोहर लाल लोहिया---जीवन कथा ए44,45 (९) ४71२०
देशवक्ष के पश्चात प्रयुक्त सामान्य एकल--द्विबिन्दु प्रणात्री में कुछ पूववेदर्ता
सामान्य एकलो का प्रयोग देश पक्ष के पश्चात् होता है। इन्हे छोटे रोमन श्रक्षर
४ व $ से व्यक्त किया जाता है) इनका भी कोई सयोजक चिन्ह नही होता है ।
$ का प्रयोग प्रशात्तनिक रिपोर्ट के लिए तथा $ का श्रयोग सामयिक सॉस्यिकी
के लिए होता है जैसे --
भारतीय रेल मत्रालय की आधिक रिपोट, 1965 #415 447'२65
19352 के भारतीय रेल यात्रियो की साल्यकी >415 445 ४52
User Reviews
No Reviews | Add Yours...