प्रश्न - चिन्ह | Prashn - Chinh

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Prashn - Chinh by मदन शर्मा -Madan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मदारी विरोधीराम - सभी थोता - विरोधीयम - मदारी विरोधीराम - मदारी विशोधीराम - मदारी विरोधीयम - सभी श्रोता -- मदारी मदारी जमूरा तुम क्‍या कह रहे थे अभी, कि आबादी सरकार नै बढ़ायी ? हाँ, मैं साबित कर सकता हूँ कि आबादी सरकार ने बढ़ायी है। मेरे मतदाताओ, साबित कर दूँ ? हाँसा। तो सुनो । प्रजातन्त्र मे सरकार किसकी होती है ? जनता की। जो आज जनता है, वही कल सरकार है | जो आज सरकार है, वही कल जाता होगी ! मतलब जाता ही सरकार है और सरकार ही जनता है । मैंने कहा है कि आबादी सरकार ने बढायी है तो क्या ग़लत कहा है ? क्या सरकार जनता नहीं है ? बोलो ? तुम्हारे समीकरण मेरी समझ मे नहीं आ रहे हैं | तो फिर क्‍या आ रहा है तुम्हारी समझ में ? यही कि तुम बहुत चालाक हो | तुम्हारा हद समीकरण तुम्हारा स्वार्थ है | भाइयो, मैं आप लोगो से कहना चाहता हूँ क्‍या कहना चाहते हो ? सत्य कहना चाहता हूँ | वह मैं तुम्हे कहो नहीं दूँगा | भाइयो, यह आदमी सरकारी एजेन्ट है | सरकार ने इसे हमारी सभा मे गड़बडी करने के लिये भेजा है | इस सरकारी एजन्ट को यहाँ से भगा दीजिये। हाँ सा ! मारी--- मारो-- ! मेरी बात सुनिये--- में--- मैं--- (लोग मदारी की तरफ बढ़ते है | मदारी भागता है । लोग “मारो मारो” कहते हुये मदारी के पीछे भागते हैं। स्टेज का पूरा चलकर लगाने के बाद मदारी भागता हुआ जमूरे के पास आता है और लोग पीछे जाकर फिर लाइन मे खड़े हो जाते हैं ।) जमूरे. जमूरे । क्या हुआ मदारी ? अरे, इतने हाँफ क्यो रहे हो ? क्या हुआ? शव




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