मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनायें | Meri Shreshth Vyangya Rachanayen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बनवाना है ।” फिर वह लोगो को सुनावर कहने छगा, “आप छोगो”
का आशीर्वाद रहा तो कभी सुर सईद, की, नियुक्ति
करूगा ।” इससे कोई भी असहमत रो थी 3-5 फ >> नक ञ
“तुम क्या चाहते हो ? जल्दी' ल्ोॉलो, मैं:5: यहा, ह,। नेता न्ने
किसी से कहा और मैंन पाया' कि वह'मुझी दब, कर. रहा है।ए में.
उसकी ओर बढा । उसने कहा, है. 22
बात करते छगा। फिर मुझे चुप 2 02०३2 )
जाओ ।” मैंने एक कागज निकालकर कहा, * मतो्जी से“मुंझ 7
“फ्यिट चाहिए न ? कोई बात नहीं, एछाट करा दूगा 1” उसने
मेरी वात काटकर कहा । मैंन वहा, “जी, फियट नहीं ।”
“तो स्कूटर चाहिए ? दिला दूगा, पर छ मद्दीने छगेंगे। अपना
नाम इधर मुशी को लिखा दो | दरखास्त छोड दो ।” यह भय दूरारे
आदमी से बात करने छूगा था। मैं नेता ये नजदीक पहुंच गया।
बोला, “मेरे गाव ये* अस्पताल में दो साल से कोई डायटर नहों है।
किसी की तनाती करनी है।”
* क्रिकी तैनाती ? तुम जाना भाहत हो 7” नेता ने पूछा ।
“कोई भी डावटर भिजवा दीजिए 1
“साफ साफ बताओ 7 भाई । तुम्हू यहां अप्याइट बरवा दू ।!
“पर मैं डावटर पह्ठी कु 17
तो तुम्हारे एडो वा, भतीणे थी, जिसको बताओ उसको
अप्याइट बरा दूं ।”
“उनम काई भी शाय्टर सही है। हमे तो वहा के छिए एक टाक्टर
चाहिए ।” नेता ने घीयवर यहां, “मुशी, इनकी बात समझकर रजिस्टर
में दब कर छो। मुशे ता बुछ समझ में आया नहीं वि इतका काम
पया है।' नाराजगी मे एप क्षण ये! लिए जेस ही वह चुप हुथा, माई
ने दाढ़ी था काम नियटाना शुरू बर दिया ।
अचानवा मवाय स विसी महिरा के यरजन को आवाज आई और
कद लोग धर मे विभिन्त दरवाज्धों से जो ड्राइग रूम, बेडरूम भा
बायरुम में होम, निवलकर पाटिकों और मदात में भरने ७गे ४
एक जीत हुए नठा से ०१1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...