कपोत कुर्सियां और चन्दनवन | Kapot Kursiyan Aur Chandanavan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kapot Kursiyan Aur Chandanavan by मुकुट सक्सेना - Mukut Saksena

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुकुट सक्सेना - Mukut Saksena

Add Infomation AboutMukut Saksena

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
संस्कारों की यात्रा कथा यहां मक्‍्का-बाजरे की फसल उठान पर है और तुम हो शहर में ? याद होंगे तुम्हें वे दिन जब हम दोनों मचान पर बैठ २४ लत उड़ाते थे मक्की के खेत से तोते और कब्वे गोफन में रखकर गुल्ला करते थे धमाका, और घर पर मां देखती थी सपना- हमारे भविष्य का! मुझे याद है- पढ़ाई में होशियार थे तुम मुझसे, इसीलिए मैं कहता था मां से कि वह मेरे हिस्से के मगध के लडू और दूध तुम्हें ही खिलाए, पिलाए; मैं तुम्हारी बढ़वार के लिए खाद हो जाना चाहता था। 'कपोत, कुर्सियां और चन्दनवन / 23




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now