विनध्य - हिमालय | Vindhya - Himalay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विन्ध्य-हिमालय | 9
सबके अंतर के तार बंध हों जिससे
मोफारों की श्रृंगार बही वीणा है।
झपने हित जीकर कई जनम खोए हैं
तुममें लय होकर जीना ही जीना है।
जाने फिर कब पीड़ा में पाला जाऊँ
तुम मुभे तपाकर खोटा-खरा भुना लो,
मन का मोती मैं तुम्हें दिए देता हें
तुम मुझे बेघकर अपना हार बना लो।
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