भुनिया | Bhuniya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थाम र तुम्हारे ऋपर मेरी बिश्वेय दृष्टि रहतौ है। मूमिहीतों को दुछ जमीन
मिस्तमे बाली है। उसमें मत सवस पहला शाम तुम्हारा ही लिणबा दिया
है। प्साक की ओर ऐ इस गांव के बुछ मजदुर्रो के मबान बनबाएं छाएंगे
उसमें तुम्हारा माम नहीं था छलेडिन मैंने सबसे ऊपर तुम्हारा गाम ही
खुदुबा दिया है।
हरिहर जाश्चर्यचवितत जिस्फारित धौर कृतज नेता से जोगिश्द र
बगै देलने लगता है। उसकी थआंख छलठसा भाती हैं। गदगद कंठ से बह
बोसता है “बाडू साहद आपकी नेकी का इदला हम गरीबों से स्सी जनम
में भी गहीं दिया जाएगा ।
ऐसा मत कह्ौ हरिहर | तुम मपत कौ गरीद मत कट्टो । मम और
अधिक समय भहीं है। घारों छोर सड़ाई छिड़ मई है। सब मरीदों को
बत््द ही अससी सुराज मिसेगा। उतक रहून को मकाम तहपा खेती करने
को जमीन सरकार देगी ।”
हरिहर जिशासापूर्ण वुष्टि से थीयिन्दर की झोर ठागते हुए उसकौ
बात सुनता रहा। जोमिस्दर इसी रह छुछ दर तब हरिहए को
स्वप्णों की दुनिया में झुखाता रहा। फुतिया भव तक घर से बाहर तहीं
मिकली है. यहू बात जोमिदर कों गचोटने लगती है। फिर तत्यास ही
तस एश अच्छी बात सूमठी है। बह मपनी छंद से सिगरेट ढ्रा एक पेट
विकासता है। हासांकि मात्रिप्त भौ उसकी जैव से है. तशिन वह हत्ह्र
से कहता है “माजिस होगी धुम्दारे पास ?
“हां जभी मंगबाएं देता हूँ। जौर बहू झुनिपा को जावाज समाता है
'मुतिया !
“रहने दो हरिहर भाई | गुछ कर रही होगी ” जोमिम्दर दौच मे ही
बोल उठता है और लड़ा होत हुए कहता है “मैं स््वर्य ही अस्दर जाकर
जसा लेता हूं ।
जोगिग्दर तजो से हरिह्र के घर के मम्दर असा जाता है। शुतिया
झांमन में टी मिट्टी मिसे घान को सूप से झशलय कर रही बी। जोयिदर
उससे गगक्रिय मागका है । फ़िर सिगरेट झुठयाद्रा है। फिर एक सिपरेट
मुतिया की और भी बढ़ाता है। ऋतिया नहीं लेती है। कझुती है, “गहीं
ऋूनिया [२१
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