मज्भिम - निकाय | Majbhim Nikay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुत्तन्त( ८ सूत्र )-सूची
मास विषय घृछठ
१९-मूल-पयणासक श्न्ण्ण
ल्् ॥ ( ३ ) सूछ-परियाय-वस्य ३-४०
१६ (१ ) सूछपरियाय-सुत्तन्त अज्ञानियोंकी इष्टि ३
२“ (३.) सब्यासव ित्त-परका दासन | अनात्सवाद् 1 ६
३ (३) धम्मदायाद घर्मके वारिस यनो, विच्के नहीं | मध्यम साये। ३०
४-(४ ) मयमेरव सय-मूत | संमोदन । विद्यायें । १३
कि ' ( ५ ) भनक्कण चित्त-सलवाले चार व्यक्ति | मिक्षुपनफा ध्येय । १७
“६ (६ ) आफ॑खेय्य मिश्ष-नियमोंका अदृण। घ्यान। प्रशा ) भवसागरके
81६ बंधन 1 ३२
७ (७) चल््य सितत-श्तॉका दुष्प्रिणास ( डप्क्लेश ! सैन्नी आदि
8 ह मावतायें । तीर्थ स्नान व्यर्थ । २४
: ८ (८ ) पस्छेख यथार्थ तप २७
*- ९ '( ९ ) सम्मादिद्ठि पुण्य, पाप भ्रष्टांगिक सागे । प्रतीत्य-समुत्पाद । ३०
१७ . (५० ) सत्तिपट्टान फाय, मन आादिकी सावनायें | प्रोधिकामके ढंग ।
है आायसल्य 1 ्ष्
> २ ( २ ) सीदनाद-बग्य ४१.७८
- ११५ ( १ ) चूह-सीदनाद उपादान या आसक्तिका त्थाय | निदान या प्रतीय-
हे समुत्पाद 1 8१
१२ ( २) भहा-सीहनाद खुद्धू-जीवमी ( तपस्थायें | अचेकक-धत । जाद्ार-
रा शुद्धि ) 1 छ्ए
१४ (४ ) भद्दा-दुक्सबसन्ध ओोणोंके दुष्परिणास । राज-दंड | जझ्
१४ ( ४ ) चूल-दुपखक्थन्ध मोगोंके दुष्परिणाम। भोगोंके फारण दुष्क्म।
् सुखसे सुख अप्राप्य-मतवाद । भ्द्
. १७ (५ ) अलुमान दु्वेचनके कारण और उनके दृटानेके डघाय |. ६१
शू८६ (६ ) चेतोणिछ दित्तके काटे । ऋ्ियों ३ श्ष
| १७ (७) घनपत्थ कैसा अरण्य-धास करना चाहिये ६८
१८ ( ८ ) स्घु-पिडिक विपयोंके स्पश, उत्पत्ति और परिद्याग 1 ७७
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