मज्भिम - निकाय | Majbhim Nikay

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Majbhim Nikay by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुत्तन्त( ८ सूत्र )-सूची मास विषय घृछठ १९-मूल-पयणासक श्न्ण्ण ल्‍् ॥ ( ३ ) सूछ-परियाय-वस्य ३-४० १६ (१ ) सूछपरियाय-सुत्तन्त अज्ञानियोंकी इष्टि ३ २“ (३.) सब्यासव ित्त-परका दासन | अनात्सवाद्‌ 1 ६ ३ (३) धम्मदायाद घर्मके वारिस यनो, विच्के नहीं | मध्यम साये। ३० ४-(४ ) मयमेरव सय-मूत | संमोदन । विद्यायें । १३ कि ' ( ५ ) भनक्कण चित्त-सलवाले चार व्यक्ति | मिक्षुपनफा ध्येय । १७ “६ (६ ) आफ॑खेय्य मिश्ष-नियमोंका अदृण। घ्यान। प्रशा ) भवसागरके 81६ बंधन 1 ३२ ७ (७) चल्‍्य सितत-श्तॉका दुष्प्रिणास ( डप्क्‍लेश ! सैन्नी आदि 8 ह मावतायें । तीर्थ स्नान व्यर्थ । २४ : ८ (८ ) पस्छेख यथार्थ तप २७ *- ९ '( ९ ) सम्मादिद्ठि पुण्य, पाप भ्रष्टांगिक सागे । प्रतीत्य-समुत्पाद । ३० १७ . (५० ) सत्तिपट्टान फाय, मन आादिकी सावनायें | प्रोधिकामके ढंग । है आायसल्य 1 ्ष् > २ ( २ ) सीदनाद-बग्य ४१.७८ - ११५ ( १ ) चूह-सीदनाद उपादान या आसक्तिका त्थाय | निदान या प्रतीय- हे समुत्पाद 1 8१ १२ ( २) भहा-सीहनाद खुद्धू-जीवमी ( तपस्थायें | अचेकक-धत । जाद्ार- रा शुद्धि ) 1 छ्ए १४ (४ ) भद्दा-दुक्सबसन्ध ओोणोंके दुष्परिणास । राज-दंड | जझ्‌ १४ ( ४ ) चूल-दुपखक्थन्ध मोगोंके दुष्परिणाम। भोगोंके फारण दुष्क्म। ् सुखसे सुख अप्राप्य-मतवाद । भ्द् . १७ (५ ) अलुमान दु्वेचनके कारण और उनके दृटानेके डघाय |. ६१ शू८६ (६ ) चेतोणिछ दित्तके काटे । ऋ्ियों ३ श्ष | १७ (७) घनपत्थ कैसा अरण्य-धास करना चाहिये ६८ १८ ( ८ ) स्घु-पिडिक विपयोंके स्पश, उत्पत्ति और परिद्याग 1 ७७ |




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