प्रताप चरितामृत | Pratap Charitamrit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Pratap Charitamrit by नन्दकुमारदेव शर्मा - Nandkumar Dev Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नन्दकुमारदेव शर्मा - Nandkumar Dev Sharma

Add Infomation AboutNandkumar Dev Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मेवाड का संक्षिप्त परिचय और पूचचृचान्त शक और के ०&ऋ&-००--१००-क- ०७-०२-०७-०४--॥-८७-+८७- “+-००४७०-७- ०-४ ०५क-०-क०--क००॥-००३- ०४, !! राव सूरज़ञमल के एक घरू फयडे के कारण मारकर आप भी” से उन्हीं के हाथ से मारे गये । भर विक्रमादित्य में धीरों के यैग्य केाई गुणन भे। गुजरात के बादशाह ने दूसरी यार चित्तीड के! विष्चस किया था। ४, पारस्परिक अत्यन्त भ्रीति थी। परन्तु वही प्रीति दोनों के लिये विषय फल उत्पन्न करनेवाली हुई। कद्ते हैं एक समय ब्ू दी के राव स्रजमल' जी चितौद में से रहे थे, वहा पुरक्षिया सरदार ने हँसी में एक तिनका से राद का कान गुदगुदा दिया। राव जो अचेत सेए रहे थे, चौंककर उठ यैठे और अपने याडे से पुरधिया के वहीं मार डालाँ। पुरद्िया का हाडका' प्रणमल' अपने पिता का घदला लेने का अवसर हठने छगा ओर राणातरी- के कान राव जी के विरुद्ध भरने छूगा। एक समय प्तरममल की जपनी ! ससुराल गये थे, वह्य यदी साली-राणा जी की रानी भी मौजद थी राणए जी की रानी के अलुरोध से तीर से पक पाछतू सिंद के मार गिराया । इस पर रावर्जी की साली के बडा अर्चभा हुआ | चितौद पहुँच कर रावजी । की साली ने अपने पति राणाज्ञी से कह्ा। राणाजी ने समस्त धृचान्त” 1 अपने पुरविया सरदार प्रनमलू से कहा। अवसर पाकर प्रणमलर ने यहा पह्टी पढा दी कि रावजी ने आपकी रानी जो से मित्रता गाठ ली है | इस बहस में आकर राणा जी रावजी के प्राण छेने के उतारू होगये । वे स़तरज- मछ णी के मारन के विचार से यू दी कराये श्रोर उनसे शिक्रार पैलने के लिये कहा। दूसरे दिन शाणा श्रौर राव दोनों 'शिकार खेलने गए वहाँ राणा ओर घंनक साधियों ने राव पर घावा किया जिसम॑ राव मारे ग्गे पर दाव ने. मरते मरते राणा और उसके पाच साथियों फी जान हे लो। फह्टते हैं जय एक नौकर ने राव सूरंजमल की माता से उनकी झत्यू समाचार कटा तब राव की माता मे बड़े जोश से कहा कि मेरा बेदा श्रकला ही मारा गया: हई ? कोई पुत्र शिसने मेरा दूध पिया है अकेला महीं मारा जा सकता है £ नेसे हो राव माता ने कद्दा वेसे दी म्तनों में से एसे कोर से दूध की धार मिंकेज़ी कि भिस पत्थर पर टूघ की घार टपकी वह पत्थर ही टूट गया। इसने: में ही राव की माता के! समाचार मिखा कि राव में मरते मरते राम सद्दित पाते आदमियों के मार दिया है?«८लेखक ॥ है ड़ तक 5 ब्ल्ा के हामछः ह 1 ञ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now