ये सपने ये प्रेत | Ye Sapane Ye Pret

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Ye Sapane Ye Pret by रणजीत - Ranajit

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

डॉ रणजीत - Dr Ranjeet

परिचय

जन्म : 20 अगस्त 1937

जन्म स्थान : ग्राम कटार, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान, भारत

भाषा : हिंदी

विधाएँ : कविता, कहानी, आलोचना

प्रकाशन : दस काव्य संकलनों सहित कुल मिलाकर तीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित, जिनमे प्रमुख हैं --प्रतिनिधि कविताएं और प्रगति शील कविता के मील पत्थर तथा आज़ादी के परवाने (भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की हुतात्माओं की जीवनियां)। सामाजिक सरोकारों पर सम्पादित त्रयी : धर्म और बर्बरता ,साम्प्रदायिकता का ज़हर और जाति का जंजाल। जाने माने निरीश्वरवादियों के जीवन संघर्ष पर : भारत के प्रख्यात नास्तिक और विश्व के विख्यात नास्तिक।

मुख्य कृतियाँ -

कविता संग्रह : ये सपने : ये प्रेत, अभि

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जयपुर, फरवरी 'शु८प --भीतर फे रिपुग्रों से लड़ लड़ कर बसे दवावित गँवाई-- किन्तु बाहरी रिपुप्नों को भो भ्रधिक प्रबल जो-- ताकत भाज भुजाम्रों पर हम तौल रहे है डोल रहे हैं मेहनत का तप भौर स्वेद की भस्म रचा कर नगर-मगर में, गांव-गांव में किन्तु ब्रह्म का नहीं साम्य का अलख' जगाने क्योकि श्राज हर साधक के सम्मुख 'पून्य-गगन' से घरा-सत्य पर थाने के श्रतिरिक्त नहीं पथ कोई हूटी बिखरी मानवता का “योग! छोड़कर कोई सम्यक्‌ योग नहीं है । हम भी झूम भूम कर गाते मिलों-कारखजी शिवजी गीत प्रोतत हु “कंस *-ध्वंस के गन्‍्ह'जीत के 'सखा-भाव की भवित' हमारी भी ट् किन्तु हमारा कान्ह सूर के सखा श्याम से प्रगर भिन्‍्न है तो वह वस इसलिए कि सूर नें # $ * लत फेवल एक श्याम को पहिचाना था ४, ६ और' हमारो आंखों श्रागे ५. हो+- मी लाख-फरोढ़ों कान्ह खड़े हैं ! हा




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