ये सपने ये प्रेत | Ye Sapane Ye Pret
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
परिचय
जन्म : 20 अगस्त 1937
जन्म स्थान : ग्राम कटार, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान, भारत
भाषा : हिंदी
विधाएँ : कविता, कहानी, आलोचना
प्रकाशन : दस काव्य संकलनों सहित कुल मिलाकर तीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित, जिनमे प्रमुख हैं --प्रतिनिधि कविताएं और प्रगति शील कविता के मील पत्थर तथा आज़ादी के परवाने (भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की हुतात्माओं की जीवनियां)। सामाजिक सरोकारों पर सम्पादित त्रयी : धर्म और बर्बरता ,साम्प्रदायिकता का ज़हर और जाति का जंजाल। जाने माने निरीश्वरवादियों के जीवन संघर्ष पर : भारत के प्रख्यात नास्तिक और विश्व के विख्यात नास्तिक।
मुख्य कृतियाँ -
कविता संग्रह : ये सपने : ये प्रेत, अभि
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जयपुर,
फरवरी 'शु८प
--भीतर फे रिपुग्रों से लड़ लड़ कर बसे दवावित गँवाई--
किन्तु बाहरी रिपुप्नों को भो
भ्रधिक प्रबल जो--
ताकत भाज भुजाम्रों पर हम तौल रहे है
डोल रहे हैं
मेहनत का तप
भौर स्वेद की भस्म रचा कर
नगर-मगर में, गांव-गांव में
किन्तु ब्रह्म का नहीं
साम्य का अलख' जगाने
क्योकि श्राज हर साधक के सम्मुख
'पून्य-गगन' से घरा-सत्य पर थाने के श्रतिरिक्त
नहीं पथ कोई
हूटी बिखरी मानवता का “योग! छोड़कर
कोई सम्यक् योग नहीं है ।
हम भी झूम भूम कर गाते
मिलों-कारखजी शिवजी
गीत प्रोतत हु
“कंस *-ध्वंस के
गन््ह'जीत के
'सखा-भाव की भवित' हमारी भी ट्
किन्तु हमारा कान्ह सूर के सखा श्याम से प्रगर भिन््न है
तो वह वस इसलिए कि सूर नें # $ * लत
फेवल एक श्याम को पहिचाना था ४, ६
और' हमारो आंखों श्रागे ५. हो+- मी
लाख-फरोढ़ों कान्ह खड़े हैं ! हा
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