निरूपमा | Nirupama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
876 KB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूर्य-किरण / 25
चुस्वी सेता हुआ कह रहा था--बेटा हो तो कपिल देव जैसा। यदि उसे
अपनी मा का सहारा न मिलता तो वह इतना बडा सिलाडी ने बन पाता |
किन्तु आजकल माता पिता बालकों की रुचि जाने बिना ही उह्े डॉक्टर
या इजजी नियर बनाने मे ही अपना गौरव मानते हैं । लड़के लडकी मे भेद-
भाव करते हैं वह अलबत्ता ।
शावास राकेश शाबास | तुमन मेरे मन वी बात कह दी । इन वहनो
कय समसाना कठिन है। मेरा भी कहना यही है। एक सूय लाखो सितारों
से उत्तम है। चाहे लडकी हो या लडका ! गुण चमकता है यही लोग समाज
ओर देश वा इतिहास गढ़ते हैं ।
श्रीमती खना रावेश का तब सुनकर कुछ सोचने पर विवश हो गईं ।
और अब उन्ह मेरी बात मे भी सार नज्वर आने लगा। उनका तिलमिलाया
चेहरा किसी आन्तरिवः बदलते भाव से चमक उठा। मुझे लग रहांथा
जैसे उनके व्यक्तित्व का कायाकल्प हो रहा हो । उनमे नये विचारों को
ससझने को शक्ति आ गई हो ।
मैंदे तुर्त उनसे पूछ लिया--आप ही बताए कि मेरा कथन वहा तक
है?
श्रीमती खना लज्जा का अनुभव करते हुए कुछ बोल न सकी, उन्होंने
केवल सकारात्मक सिर हिंला दिया और कमरे स वाहर चली गईं ।
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