एतिहासिक जैन काव्य संग्रह | Etihasik Jain Kavya Sangraha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
698
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डा
प्रभसू रिगीत ( प्र० ४६ ५० ), शिवचुला विज्ञप्ति ( प० ३३६ ),
बेगडपद्भधावली ( प्रू० ३१२ )।
३६ वींका पूर्वाद्ध ।
बोमाजभीत ( प्र० १३० ) ।
१६ वीं का अेप&--
जिनदत्त स्घ॒ुति ( प्रृ० 2), जिनचद्र् अण्डक ( प्रृ० ५); फीत्ति-
र्नथूरि चो० ( प्ृ० ५१), जिनहससूरि गीत (प्रू० ५३ ),
छ्ेमहल कृत शरवाबदी ( पू० २१० से २९७ )
१७ दीं का पूरब --
देवतिलकोपाध्याय चौ० (प्रृू० ५५ ), भावह्प गीत ( प्रू०
१३५ ), पुम्बनागर गीत (प्रृ० ६७ ), पुज्यवाहुण भरीतादि
( प्ृ० ८६, ६० ११० से ११७), जयतपद॒पेछि ज्रादि साधु-
कीर्ति गीत ( प्ृ० ३७ से ४५ ), स्तर शुर्वानलि (पए० २१८ से
२७ ), कीत्तिरप्न सूरि गीत ( प्रृ० ४०३ ), दुबातिएक ( पु०
४१६ ), यथकुरा७, करमसी गीतादि (० १०६, २०४), भादि 1
शेपाद्ध --
जिनचद्र0ू, जिनसिंह, जिनराज, जिनसागर सूरि गीत
रासादि ( प्ृ० ५८ से १३२, १५० से २३०, ३३४, ४१७ ),
सरतर 3(र्वाषल्लि ( प्रू० २२८ ), पि० सर० पद्चानडी (प्रू०
३१६ ), गुणप्रभ सूरि अजन््घ ( प्ृ० ४२३ ), पिमयसिद सरि
रास (प्ृ० ३४१ ), पह्महेम (प्रृू० ४२ ), समयछुन्द गीत
( पए० १४६ ); छप्पय ( प्रृू० ३७३ आदि |
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