भिखमंगो की पेन्शन कथा | Bhikhamango Ki Penshan Katha

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Book Image : भिखमंगो की पेन्शन कथा  - Bhikhamango Ki Penshan Katha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्रिकेट की चमक में त्रिकेट का मौसम शुरू हो गया 1 अब सरकार की चिता खत्म हुईं। बहुत दिनों से लोग बोफोस, फेयर फेव्स सूखा, अकाल का हल्ला मचा कर मीद हराम कर रहे थे। लोगा के पास दुछ काम तो था नहीं, खाली बैठे कया करते । एक एक बयान बडे ध्यान से पढ़ रहे थे। सभाओ में भारी भीड़ इकटठा हो रही थी। जब भी आपस में मिलते दलाली, कमीशन स्वीटजर- खण्ड की चर्चा के सिवाय दूप्तरी काई बात नहीं होती पी । सरकार बेघारी बड़ी परेशानी से थी । एक मामले की पोल क्या खुल गई लोग गलतफहमी पाल बैठे थे कि बस यही अकेला म।मला है । सरकार का जो कुछ बिगाडना है बस इसी इक्लोते मामले से बिगाड़ देना है। ध्याज के छिलके की तरह उधाडे चले जा रहे हैं। पीछा ही नही छोड रह हैं। उन बेचारो को कौन समझाए कि--''भैया इतनी बडी सरवार है, ऐसे अकेले मामले के दम पर नही चलती है।” वह तो भला हो गोपनीयता के नियमों का नही तो दूसरे मामले की हृडिया भी बीच चौराहे मे फूटते बया दर लगती । तब तो सोग सोना भी छोड देते । सिर्फ बहस के दम पर ही जिदगी गुजार देन वाले ये लोग चौबीसो घटो म॑ छत्तीस घटे बे' लायरः बहस करते नजर आते । यरे खुल गया एक मामला, तो कौन सा पहाड टूट पडा है। ले लिया होगा किसी ने कमीशन, इस देश के किसी काम मे कोई अतर तो नही आा रहा है ना । ट्रेनें मब भी आ रहो हैं जा रही हैं । पहले भी टकराती थी, अब भी टकरा रही हैं। अनाज कय उत्पादन बढ रहा है, तो महयाई भी पहले की तरह बढ रही है। परिवार नियोजन बढ रहा है तो वच्चे भी बढ




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