दुर्गा शतक | Durga Shatak

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Durga Shatak by आद्या प्रसाद पाण्डेय - Aadhya Prasad Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(1) योग मे प्रयोग मे वियोग मे सयोग मे जो, ऐसी योग माया को नमन करता हूँ मैं। दृष्टि मे अदृष्टि मे परोक्ष अपरोक्ष मे भी, ब्याप्त विश्व छाया को नमन करता हूँ मैं ।। विधि विष्णु शकर समस्त देव ध्यावे जिसे, ऐसी शक्ति साया को नमन करता हूँ मै। कोटि कोटि सूर्य का प्रकाश रोम-रोम जाके, ऐसी कान्ति काया को नमन करता हूँ मै ॥ (2) जिसके प्रकाश से प्रकाशित समस्त लोक, हे हो देव नन्दिनी। नमन करता हूँ मै। असुर निकन्दिनी विभजनी सुरो की ब्यथा, सन्त द्विज बन्दिनी। नमन करता हूँ मैं ॥ कन्यका कराल खड्ग धारिणी अनूप रूप, मृगपति स्यदिनी। नमन करता हैँ मे । हरि, हर, विधि भी जिसे न जान पाते,महा, माया की तरगिनी! नमन करता हूँ में ॥




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