प्रशासनिक संस्थाएं | Prashasnik Sansthayan

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Prashasnik Sansthayan by बी एल फाड़िया - B. L. Fadiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अहस्तक्षेपषादी राज्य की अवधारणा 17 प्रोषण और विस्तार करना।”” स्पेन्सर राज्य के कार्यक्षेत्र फो तीन मामलों तक ही सीमित रखते हैं--(1) बाहरी शत्रुओं से व्यक्ति की रक्षा करना; (2) आन्तरिक शत्रुओं से व्यक्ति की रक्षा करना और (3) वैध अनुवन्धों को छागू करना। इस प्रकार अहस्तक्षेपवादी राज्य में चूंकि राज्य की भूमिका एवं कार्यक्षेत्र सीमित है अतः लोक प्रशासन की भूमिका भी सीमित हो जाती है। संक्षेप में, अहस्तक्षेपवादी राज्य में लोक प्रशासन की भूमिका तथा लक्षण निष्नवत्‌ होंगे-- 1. लोक प्रशासन के उद्देश्य सरल एवं साधारण होंगे। 2. लोक प्रशासन की कार्यवाही का क्षेत्र सीमित एवं संकुचित होगा। 3. लोक प्रशासन के कार्य एवं प्रक्रियाएं अतीव सरल होंगी। 4. छोक प्रशासन की प्रशासनिक संरचना का आकार हुघु होता है। 5. लोक प्रशासन नियामकीय एवं नकारात्मक होता है। 6. लोक प्रशासन पुलिस कार्यो का सम्पादन करता है। ध 7. सरकार को अधिक कानून बनाने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि शासन के कार्यों का अधिक विस्तार नहीं होता। इस प्रकार अहस्तक्षेपवादी राज्य में छोक प्रशासन सामाजिक एवं कल्याणकारी सेवाओं के क्षेत्र से विछग रहता है। इसमें न तो प्रशासनिक विशेषीकरण और न ही किसी व्यवस्थित कार्यप्रणाठी की आवश्यकता होती है। प्रशासनिक कार्य मुख्य रूप से कुछ लोगों के हितों की रक्षा करने वाढे और प्रकृति से नियामक होते है। विशाल, नौकरशाही का अभाव होता है या 0004 वाले अथवा रक्षा करने वाले सैनिक एवं पुलिस अधिकारी ही नौकरशाही प्र ते है। ; प्रश्न 1. अहस्तक्षेपवादी राज्य से आप क्‍या समझते हैं? यह राज्य लोक कल्याणकारी राज्य से किस प्रकार भिन्न है? (राजस्थान, 1996, 98) 2. अहस्तक्षेपवादी अवधारणा का आधुनिक समय में आलोचनात्मक परीक्षण करिए। १. (राजस्थान, 1994) अहस्तक्षेपवादी राज्य के अर्य एवं रुक्षणों का वर्णन कीजिए।... (अजमेर, 1996) 5. अहस्तक्षेपवादी राज्य की पुष्य विशेषताएं क्या है? यह छोक कल्याणकारी राज्य से किस प्रकार मिन्न है? (खजप्रेर, ११५४) 1. 8६81४ ९्यंडप 10....... ........ दा] ४४-०५ ९-४ ++++९० ६:-६३० ७७ २२३५ छग्पप्रणएया च्नएपणा, इघडःहा07९, 18 ६0 7702८६ 80पे 1६३५थांए, 9०६ (० (4०67 ब्एवे ए/णृगण2,१ _ऊःशाद्य-




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