इलाजुलगुरबा | Ilajulaguraba

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
334
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुदर्शन लाल भार्गव - Sudarshan Lal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चरतावब [ ह
श्रीकान्तललिताननमघुरिपु कृष्ण भजेहं सदा वेश्य
चेपण तत्पर प्रियकर घन्चतर माधव | दु खध्न
कामलाक्ष॒मिन्दु बदन गंजीर पाद दर गोपाल
यझुना 1प्रय अतपात चंच महा सुन्दर सृ-!
सप स्तुति उसी निर्मिह्वार परमेश्वर परम सैध ये येज्य हैं भिसने अपनी
मापा भर शक्ति से समार पी रचनापर चौरासी छक्त यानि फो छत्पण्त किया
ओर इम तुच्छा मतुष्प यो सर्वोपर बनाया भर इसका नौषन-मरण झारो-
र्पता आर राग पर निर्भय रखख। भौर इस झारोग्पवा थी रक्षा तथा नष्ट
हुई निरोग्पता पी म्राप्वि फे [दाय अनेक आहार और झौपधियों फो छत्तप्त
1कय। और उनकी पर्राक्षा तथा रोगों के लिये शार्शरफ़ भर प्ात्मिक बैंधों
फो सर्वेश्वप किया और उनके जात्युपक्ार द्वारा कैसी भाषत्तियों स प्रुक्त
द। जेसे कि पत्वस्थरे भर शुक्र इत्यादि, हि भिन्होंन मनुष्प को मृध्यु फे
' मुख से निक्ाजकर अम्पफ5 खिलाया भौर पे पिचा को प्रषाशित किया
और ण्पाप्त-फषित॑-दत्त प्रेय इस्प।द्क भिन््हेने अज्ञानरूप घेग फो नए फर के:
शानझूप अपृत पिद्याया और झ्वान पिया का भषाश किया और उसो निरा-
फार पाग्मष् ने छृपायुक्त नोप पा ससार सागर से पार उत्तारन फे लिये
अफृष्णपन्द्र पट मकत्ता युक्त पूणे झबवारत्त भ्रीपद्ध गवद्गोता द्वारा जगत में
झपूतन्नक्ष थी हष्ट पी अर समस्त वैध मात्र यहाणशयों स निमदन है पि वेयफ
विद्य। को गनुप्य की झाराग्वता पी जड़ है भागतऋ पहुतप्ती पुस्तक निर्माण ..
हुई परन्तु उनका सिवाय ससक्षत पाठी वैद्यों व उ्द, फ्रारसी घानने वादे
हृष्कीयों फू पाई नहीं सप्क सक्ताइसकिय एफ इस्पक इलाज़ुलगुरवा नापक
जिएमे हुकी प गुलाग हपाग बेकुण्ठरासो ने बहुत भच्छे २ चुसख छिखे
हैं उदू माप! स दबनागरी मापा में छटया कराकर सपे महाशर्यों पी सुगमता फे
लिये पडत रमनारायणुजी साएपं भागव “पुत्र उन्शी रामधनदासजी
असिद्ध खुशनबीस' सम्यादक गधुरा भ्रप ने छापकर प्रफाशित किया था भष _
समस्त वेधमजें। स निवदन है कि एऋ मधि इसफी अपन पिध छ्षय गे रक्ख
पर दाम उठाद | ४
शुभचिन्तक सुदशनछाल भाग :
घचुकसलर नया बाज़ार मधुर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...