प्रेक्षाध्यान यौगिक क्रियाएँ | Prekshadhyan Yoagik Kriyayen

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Prekshadhyan Yoagik Kriyayen by मुनि किशनलाल - Muni Kishanlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्रा २३ (स) गर्दन को दाये-बाये दोनो ओर से गोल घुमाएं। विधिः- पूरक करते हुए ठु्ठी को कठ-कप मे लगाए, आखे बन्द रहे, दाहिने कधे की ओर ठड्ठी का स्पर्श करते हुए पीठ की ओर गर्दन ले जाए, बाए कान को बाए कधे से छते हुए ठुड्डी को कठ-कप मे लगाए, आखे बन्द कर ले। इस क्रिया को बायी ओर भी दोहराए। तीन-तीन आवत्तियो करे (द) श्वास को भर कर सिर और गर्दन को दाहिनी ओर भकाए, कान कन्धे को स्पर्श करेगे। सिर को सीधा कर रेचन करे। प्रक कर बायी ओर सिर को भकाए, कान कन्धे को स्पर्श करेगे। सिर और गर्दन को सीधा कर रेचन करे। तीन आवृत्ति करे। साभ-गर्दन का दर्द दूर होता है। आंखे और मस्तिष्क की शक्ति बढती है।




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