स्याद्वादानुभव रत्नाकर | Syadvadanubhav Ratnakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्वितीय प्रश्नोत्तर | ( ५० )
थात् एक पक्षकों सिद्ध करनेकी कोई युक्ति हेनही सो तुम असमवाये कारण सिद्ध
करनेके अर्थ जिस कपालकी अपेक्षा कीहे उस कपालको ते हम घठका उपादान कारण
मानेंगे और तुम्हारे माने उपादान कारणकों उसकी अपेक्षा द्वितीय मान करिके अवयव
सयोगरूप अमसवाये कारण सिद्ध करनेवाला मानेंगे तो ९ एक घट तो प्रथम प्रक्रिया
जो सुमने कही उससे सिद्ध हो गया और दूसरा घट हमारे कही छुसरी प्रकियासे सिद्ध
होग। प्रत्यक कपालके कारण माने तो दो! कपाछोसे दोही घट होने चाहिये ओर पहले
कहे तुम्दरि नियमसते अत्येक घट्मे एक कपालके परिमाणकी अपेक्षा दूनेसे आधिकही
परिमाण माहुम होना चाहिये इसलिये भत्येक कपल घटदका कारण माननाही
असगत हुवा जो कहो कि, दोनो कपाल मिले घटका कारण मानेंगे तो हम तुम्की पूछे
है कि दोनो कपाल मिले घटके उपादान कारण हे तो दोनो कपाल मिले इसका
अथ क्या है जो तम कहो कि संयोगवाला ऐसा अथ है तो हम कहे कि जैसे कपालोमे
कंपालोफा रूप विशेषण हे वैसे संयोगभी कपालोका विशेषण हुवा तो तुम कपालछोके रूपकी
घटकाकारण नहीं मानो हो तेसे सयोगकीमी घटका कारण नहीं मानसकोंगे क्योकि तु-
मने पाच अकारकी अन्यथा सीट मानी वो अन्यया सिद्धि जिसमें रहे उनको अन्यथा पिद्ध
बता करके कारण नही माने है वहा दूसरा अन्यथा सिद्ध कारणके रूपको कह! छ तहा का-
रणके रूपको अन्यथा एिद्ध इस प्रकारसे बताया है कि जो अपने कारणके सायहीं काय्यके पूव
, वर्तती होय और आपने कारण विना जो कार्य्यंके पूर्ववर््ती नही हो सो उस कार्य्यके अति अन्यथा
. सिद्ध होय है सो रूपके कारण होगे दण्डकपाल चक्र चीबरादिक उनके साथही रूप घद
काय्योंके पूर्ववर्त्ती हो सके है ओर उनके बिना घटकायाके पूववत्ती हो सके नहीं इसलिये
दण्डकपाल इस्यादिकका रूप घटकाय्यके प्रति अन्यथा सिद्ध होनेसे घटका कारण न-
ही तो हम कहे हे कि कपालोंका सयोगभी अपने उपादान कारण जो कपाछ उनके साथ-
ही घदराय्य पूर्ववर्त्ती दे सके हे उनके थिना पूर्ववर्त। हो सके नहीं इस लिये कपालोका
संयोग घद काय्यकेप्रति अन्यथा सिद्ध होनेसे घटका कारण नहींमानसकोगे जो कही कि य-
ह कथन अनुभव विरुद्ध हे क्योकि दोने। कपालोका सयोग होतिहदी घटकी उत्पत्ति पत्यक्ष दी-
खे है इसलिये दोना कपालोका सयेग धटका कारण नहीं माने यह नहीं हो सके तो हम
कद हे क्रि कपाछोंके खयोगकोही घटका कारण मानो कपाल तो अन्यथा सिद्ध है जो कहो
कि कपाछ त्तो घटका कारण है यह कोौनता अन्यथा सिद्ध होगा तो हम कहे हे कि कपा-
लोको तीसरा अन्यथा पघ्िद्ध माने क्योंकि जिसको ओरके प्रति पृवेवर्ती जान करके कांस्य
के अति पूववर्त्ती जाने वो उस कार्यके प्राति अन्यथा सिद्ध है जसे आकाश हब्दका समवा-
य कारण दै इसलिये आऊ्राशकों शब्दके अति पूर्ववर्ती जान करिकेदी घटके पूर्वव्त्ती
जानते ह इसलिये जायाण घट कार्य्यके प्रति अन्यथा सिद्ध ह तसेहदी कपालोफ़ों जो स-
योग उसका समवाय कारण कपाछ है इसौल्ये कपाछोंकों सयोगके पृर्ववर्ती जान करकेद्दी
पके प्रति पूर्ववर्ती जाने हे इसलिये घट कार्य्यके आति कपारू अन्यथा सिद्ध हुवा सो घ-
ठका कारण नहीं दे सके और जिस प्रक्रियास घट काय्यके प्रति कपाल अन्यथा सिद्ध टवा
उसमे क्रियास डढ कुछाल इत्यादिक्ी अन्यथा पिद्धही होंगे तो तुमने जिनको घटके
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