युग युगीन राजस्थान | Yog Yogin Rajasthan

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Yog Yogin Rajasthan by श्री सुखवीर सिंह गहलोत - Shri Sukhvir Singh Gahlot

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[थश] मेवल एक भाग 1५66 में 'राजस्थान भ्र द एजेज” प्रकाशित हो सका है। शेप दो भाग प्रभी तक प्रकाशित नही हो सके हैं । स्वत अता प्राप्ति के वाद के 43 वर्षों में राजस्थान, के इतिहास के विभिन्न क्षेत्रो व का वो के विषय मे कोफो अध्ययन व॑ शोव हो रहा है। कई शोध ग्रन्थ प्रकाशित हो चके है। कई विश्विद्यालयों मे शोध कय हो रहा है। कई विश्वविद्यालयों के शो अक्नो व शोध मस्थाणो मे विद्वानों के राजस्थान के इतिहास के विभिन पहलुप्रो पर भाषण होते रहते है तथा उनका प्रकाशन भी होता है। न केवल राजनतिक इतिहास वल्कि मूल स्रातो व॑ तत्कालिन दस्तावेजों! के झरंधार पर सामाजिक, भ्राथिक व साँस्कृतिक इतिहास पर भी काफी लिखा जा रहाप्है। (इनका विवरण परिशिष्ट 3 में देखे) । * राजस्थान पुरालेखागार मे सग्रहित सामग्री राजस्थान के इतिहास लेखन कार्ये हेतु भारत मे सर्वाधिक महत्वपूण है। डॉ हुकममिह भाटी ,के शब्दों में यहा शिलालेख ता/म्रमत्र, य्याते, बाते, पट्टें परवाने, काव्य ग्रथ भ्रादि इतनी विपुल मात्रा भे उपलब्ध है कि इन सबका सम्पादत व प्रकाशन भी सहज सम्भव नही है फिर भी आधारभूत महत्वपूण ग्रथो का सम्पादन और प्रकाशन का कार्य यथा श्षीघ्र हो जाये तो इस समस्या.का 'सामाधान हो सकता है / भारतीय इतिहास मे राजस्थान के चैश्चिप्टय पूण इतिहास के भन्तगत यहा के रार्जबशों की गौरवपूण गाथाओ से पृष्ठ के पृष्ठ भरे हुए है ।” श्राशा यह की जाती है कि शीघ्र ही सस्पूर्ण राजस्थान का प्रामारिंक इतिहास विस्तृत रुप से प्रकाशित हो सकेगा । हे अतीत, तुमि हृदये श्राभार । दि जग] - श , « > कथा कझ्नो, क़था क्ञ्रो, री; हे --रविद्वनाथ टेगोर




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