किरण वीणा | Kiran Vina

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kiran Vina by श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

Add Infomation AboutSri Sumitranandan Pant

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
खोलो है मन का तृण-पिजर त्वच सीमा से निक्‍लो वाहर, भू रज म्रजग, विहग बनो उठ, पख शून्य में फैला भास्वर ! फालगई तूलो से क्रिणें श्री शोभा वी स्वरलिपि रचतीं प्राणों के प्रायण पर |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now