लोग जहां खड़े है | Log Jahan Khade Hain
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
515 KB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घड़ा का साकण्ड वाला सुई वन सप्मार होकर .
शने: शर्न: मा
पड़ाव डाल देती है
मेरी पलकों के ऊपर
और भौंहों की नीचे वाली जमीन पर
मजबूर सा, मैं लेट जाता हूं
एक ठण्डीो, सपा
सोमेन्ट को काली पट्टी पर
-+कि शभ्रवानक
दूटता है जेहन में भेरे
एक काॉँच का तारा
चुभता है जुपता है
कुछ, रंगीन किरव सा+-
भेरे सिर के पिछले हिस्से में
गहरी नींद में होने के बावजूद
सोद सकता हूं, में
हो नहो
यह सुबह का सपना है |
' लोग जहाँ खड़े है।25
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