श्री धरभाषा कोष | Shri Dharabhasa Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
750
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ३ )
व वयथारउत्नतः तर चतस्तरुूतः मय तीरम/नवास्तीस्स । राम!ये
1पिणावदतिररामस्प॑वेद्तिः यश दत्तरस नी तय जद त्तस्सनो ति 1177
पक्े७:यदिविसंगे से ४ 5 प्र परे हों तो विसगेको प् आदेश हो जाता है । यथा-
पनु लह्कारः-पनुएड्वारः । भग्नः ठहर मेरनएकुरः (का पपरक्प्पप्ठग ॥|
धमादिः विसगेःसे परे /ब/छ) श हों ती। (1 ):की!श आदेश होता है |
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शाहिए मरश्शइतेगी! 7 317 # तंग कक हि मके लिए
ध्रेदएप्रदि प्रदेके मध्य-में न॑ वाः मूँ/हो/तो उनको-अनुस्वार हीमिंती है जब
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फिर रिथिग्यिशानसिटयशांसि/किंपू करोपिंटकिंकरोपि 18 कण ७७
ईिवशीव्यिदि पके अन्तर्मे)मः दोवे छत्से परे“ जनही तो म-कोंअनुस्वार
आज होजातीहै। पधा-हरिस् वन्दे८ह रिंवन्दे। चन्द्रमपश्यति-चैन्ट्रेपेश्याति॥
४१ यदि अकार के नीचे विसंग' हो ओर विंसगे के परे हरेंत्र अंकी $ होने तो
पारि 9 पूवे॥्रकार सहित विस को ओ-आार्देश होजाता ऐउसे अर में पर्व मैगी
री कोंमिला देते।हैं)ओ से परे भकार का लोएकरकें ऐसी रूप लिख
- - देते हैं बथा--बेदर अधीतः+-वेदो 5पीत: । नर 'अयमू-नरीपेम ॥
॥$४! क्षद्ष थे? के परे बगेकी तृतीय! चतुर्थी हों थे मे! २) से) न, मे हों
4 एव की ” भो पनेमेतिं है? यथा चौ0 इरेति>सीरोहरति
याविमरोयातिं। पौणडित-मेंवतिसपो एडितों मेवे दि “इसी दि
४३ यदि अर था को छोड़ किसी रबर से परे विंसगे हो और उत्तके परे कोई
सर वा है, य। व र/(ल) लें/मे))वा)किसी वर्ग का ठवीय चतुर्थ वर्ण
ऋन््तुमही तो जिसमे की र[इल बनजाता है; ।यथा-कविः अग्रमू>क विर्यम्् ।
ता धंशहुभ हृत+शजुहतापह रे श्रंचनमू> हरे वे चनम्1 इत्यादि ७
1३४४ यदि सिकऔर एप के परें शंका की छोड़ कोर स्वर वो व्यंजन वर्ण
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'शी० वरंसान्वि नहीं होती है। प्यास आगत३्स श्र गंत।| सं। इंच्छतिक
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हो जविमी ॥ ह 179 11 तक
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