चन्द्रगुप्त मोर्य और उसका काल | Chandra Gupt Morya Aur Uska Kaal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जप्म तपा प्रारमिक श्ीबत छू
इसो को मैउतमूखर ने विचारों का मान्तरिक काहृकर्सा बढ़ा है। परन्दु औदमी
पछिसते के लिए काहकम नितात्त बावस्पर हैं। जब तड़ कियी प्यक्ति कै जीवम
ठय उसके हस्यों कै बारे में यह से बताया जा सडे हि उतरा का क्या घा
-धब तक बढ इतिद्वास का पात्र गद्टी बत सरुता । चंद्युण के जौबन तथा शासतर
का की शिधियाँ का सद्ठी-सदौ निर्धारित की था राष्सी हैं।
महागता के अन्य कारण अब हम उत दूसरे कारणा पर डिचार करे
जिनके शामार पर चंहयुप्द को महात् सममा जाता है। गइ प्रबस मारतीय राजा
जा जिसने बृहत्तर माग्त पर अपना घाषत स्मापित शिया जिसका बिस्तार जिडिस
भारत से भी बड़ा था । बृहृतर मारत कौ सौमसाएँ शापुमिग मारत की सीमाओं
से बहुध माने तक ईएस कौ सीभार्जी पे मिष्ठी हुई डी । $छगे अतिर्कित अंड्रभुप्त
भरत का प्रयम प्ाधक भा जिएने सपतरी बिजया ढारा सिपु-बाटीौ ठपा पाँच
जरदियों के देश को पगा दंगा जमुता की रूबी भाटिया कु साथ मिहाकर एक ऐसे
खाम्राम्प कौ स््वापता कौ जा एटिगा (दरात) से पराटहिपुत्र तक फैसा हुमा बा ।
जही पहला मारतौय राजा है जिस्तें उत्तरी भारत को राजनीतिक हूप से एकजज
ऊरने के बाद विध्याषक कौ सीमा से माने मपते राम्प का दिस्तार किया मोर
इस प्रडार गह उत्तर बा बक्षिय को एक ही सार्वजौम छावक को छ्इछाया
'में प्रे आारा । इससे पहुण गढ़ पहुला मारतौय मेता था जिसे मपते देश पर एक
च्यूरोरीय तम्ा गिदेशी आक्रमण के विराधघाजतक दुष्परित्रामों का लामगा करता
अड़ा उस समय देर राष्ट्रीय परामव तबा असंपटत का विकार गा और छिर
जसने मूनातौ शायत से मपने देय को पुन स्वत करते का अभूतपूर्व श्रय प्राप्य
“किग्रा । पद्म पर इस बाघ का उस्केश्श कर दिपा जाए कि शारत पर सिशुंषर
का जाकरध मई १२० ई० पू सेमई शर४ई पू# तक रहा और १२३ ६
पू० तक अंदगुप्त ने हैश पर मूवानियों के आपिपरद का शामनतिष्तान हद मिटा
पैदया था। भारत के गहुत डी बोड़े घ्रापकों को इस बात का भय प्राप्त है कि
जाते अपने इतने छोटे-मसे छामवड़ास में--पुराणों के अनुसार चदइयुप्त ते केअस
२४ बप तक घासत किया---इतमी अधिक सफलठाएँ प्राप्त कौ हों। एस धब बातों
से बड़कर मौर्य राजबंश के संस्पापक के शुप स॒ बउियुप्ठ से पहली मार घारत को
एक ऐसा इतिह्वात प्रदात किया जिसका क्रम कहौ नही टृटवा और जा इसके
साप ही एक ही सूज में शेंबा हुरा इतिहास है. बह ऐसा इतिहास है जा भारद
की असुग-जरूय जातियों तबा प्रदेश्ञों का अतग-अबम इतिहास न होकर एक
'इर्काई के स्पर में पूरे झाय्त को अपने में ख़म्ेट प्ेठा है। चदगुज ते इस प्रदार
“बिप साम्राम्विक इतिहास का थौगभेश डियां था बह उम्धके भार भहुत समय
श॒ड़ बाड़ौ मई रहा । मौर्य सम्रा्टों के अबीव मारत कौ जो राजतीदिक एकठा
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