मनुस्मृति भाषानुवाद का विषय सूची पत्र | Manusmrati Bhashanuvad ka vishay suchi Patr

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Manusmrati Bhashanuvad ka vishay suchi Patr by तुलसीराम - TULSIRAM

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हे सनुभाषानुवाद विपय | * “सनु झीर सरोचि आदि ९० प्रणापतियों और शन््य ७ सनुझीं तथा बच राघसादि को उत्पत्ति प्रति श्ोकों वें” प्रक्त.. ३-७ सब के घसे वर्णनाथे सन्‌ की प्रतिज्ञ.._, ४२ ६ श्लोक जो ३ पुराने युस्तरकों में मिला है . ४ ० जरायुज, श्रर्ठण, स्वेद्ज, उद्लिज्जों की उत्पत्ति ४३-४४ भनु ने क्षपमी उत्पत्ति के साथ जरंदुत्पत्ति का उपसंदवर किया है ५९ उत्पत्ति और म्लूय की अवस्याजों का वर्ण ५२-५५ का कथन कक परमेश्वर ने मुझे यह शास्र पढ़ाया, मैंने भरोष्यादि को, इन में शूगु तुम्हें सुन्ावेगा० अत्तिप्त शर5-प७ 'यूतरु ने ७ सजुओों का वर्णय और भास बताये» प्रत्ञि् ६०-६३ चिमेष, काष्ठा, कला, मुछ्त्ते, मानुष, देव, पिल्‍्य, दिन, राज़ि आदि फाल के परिनाण ६४-७३ 9 काश, वायु आदि तत्व और एन के गुणों का बए॑।.. न 3३-5८ सन्‍्दन्तर का परिसाण 36-६९ युग का प्रभावश म्क्षिति.| |। ८९-८६ ब्राह्मणादि बर्षों के फसे बा ८३-४१ ब्राह्मण की प्रशंसा रा ९२-९१ प्राणियों मे कौन किस से श्रेष्ठ है ९६-९७ पुत्रः सब में ब्राह्मण की पेष्ठता ह (८-१०१ पृ का कथन कि यह शार्त मनु ने धनाया और एस के पढ़ने का अधिकार और फल» प्रक्षिपत ६ ः १०२-१०७ पार को प्रशंख_#»ढ ११४-११० _अनुस्मृति का संक्षिप्त सूचीपत्र” प्रत्तिप्त १९ | दवितीयाध्याय मैं- घ्मोपदेश को प्रतिज्ञा | १ सकामता, 'निष्कामता का पिवेक - पा २-४ बेद्‌, र्तृति, शील, अश्मतुष्टि का घमे में प्रमाण ह : ' शृगुवचन से देद प्रशंसा» अिप्त श्रुति स्तृति में कहे घसे.को प्रशंसा, मे सामने की सिन्दा हा शत, 8




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