भास्कराभास निवारण | Bhaskara Bhas Nivarana

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhaskara Bhas Nivarana by तुलसीराम - TULSIRAMलाला भवानीप्रसाद - LALA BHAWANIPRASAD

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

तुलसीराम - TULSIRAM

No Information available about तुलसीराम - TULSIRAM

Add Infomation AboutTULSIRAM

लाला भवानीप्रसाद - LALA BHAWANIPRASAD

No Information available about लाला भवानीप्रसाद - LALA BHAWANIPRASAD

Add Infomation AboutLALA BHAWANIPRASAD

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भारकराभास निवारण । १९ जावे तो प्रधघम तो गणित की गलती है, जिससे फल बराबर नही मिलतः यदि सही भरित किया जावे तो फल भी उस का बरावर व पूरा २ मिल सकता है, ज्योतिष की श्चनेक बात सही दिखा सफते दें सही होने से समाज छोड़ देना- भा० प्र० पृ० १९ प० १२ से स्वामी जो की मृत्यु पर यह लेख है परस्तु राक्षसों से उनको लोफोपकार देव चेष्टा सही नगद और सुनते हैं कि उनका प्राण विप द्वारा ভি लिया। ` मरन ९-यद्‌ तो आपके स्वामी जी का फथन ही है और आपने भी उसको पष्ट किया है कि सनष्य कम करनेमें रुव- तन्‍्त्र व फल भोगनेसें परतंत्रहे फिर कहिये कि यदि इ श्वरके सभ्ीप स्वाभीजो का कर्म उत्तम होता तो फिर ऐसा बुरा फल ( अर्पोतत्‌ विषद्वारा प्राण हरण हरेनां ) क्‍यों दिलाया गया इससे तो स्पष्ट ही विद्ति होता है कि-- जो जस करे सो तसं फल चखा । जसा खनका खरा कमे था, वैसा ही उ- लक्षो बरा फल भिला । भा प्र? पू २० पं० ९८ से गायत्री संत्र. में चोटी बांधकर र्ता करने पर यह लेख है हांयह अवश्य है.कि हस प्रार्थी शलोग इस योग्यं परमाट्सा की दृष्चिठ में ठहरें कि वह प्राचना स्वीकार करे तो इसमें संदेह नहों कि तलवार आदि उस के सामने कोई . অত্র नहीं हैं , प्रश्न ६--यह. तो लेख आपका बहुतही' सत्य है, पर यह तो कहिये. कि अब प्रहलाद जी इत्यादि की कथा को असह्य कहते. कद्ध लज्जा आती है , या नहीं ? हां यदि उस- समय ड्व में इतनी शक्ति न हो जो इस समय सा प्र० बनातेमें ससको प्राप्त है. तो यह बात. अलग है-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now