उड़िये पंख पसार | Udiye Pankh Pasar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिक्रमा लगाकर यहाँ पहुँचना हुआ, तो देवपूजा और गुरुपूजा- दो-दो लाभ एक
साथ मिल जाएँगे। मान लो कि पहुँचने में देर हो गई तो भी कोई हर्ज नहीं क्योंकि
यहाँ से लौटते वक्त आपने अपने पुष्प समर्पित कर दिये। वहाँ का वातावरण
पवित्र और सीम्य होता है, इसीलिए मदिर जाने की प्रेरणा है। शेष तो आदमी जहाँ
बैठा है, वह हर स्थान परमात्मा का मदिर ही है। आप स्वय अपने आप मे
परमात्मा के मदिर है। भगवतपूजा का परिणाम हमे मिल सकता है, सुबह-शाम
या हर वक्त-जब भी याद आये “श्रीप्रभु” स्मरण किया, आनद से भरे और
काम-धंघे मे लग गये, भगवत्पूजा स्वत. सपन्न हो जायेगी।
आप चातुर्मास के दौरान यधाशक्ति दया-दान देंगे ही, अपनी ओर से तपस्या
भी करेगे ही। हमे कुछ-न-कुछ आराधना ऐसी करनी है कि जिससे तन-मन
निष्पाप हो सके, हमारे कदम पुण्य की ओर बढ सके। केवल बाह्य क्रिया-सापेक्ष
न बनें, वरन् अंतरशुद्धि सपेक्ष बने, ताकि जब चार महीने पूरे बीते, तो हम
अपने अन्तर्मन मे उतरकर अपने को पहचाने तो ऐसा लगे कि हम कुछ बदले;
कुछ उपलब्ध हुए; कुछ नया हुए। ऐसी बोधगत सजगता, ऐसी स्थिति हमारे ,साथ
वरकरार रह सकती है। भगवान करे, यह चातुर्मास केवल चातुर्मास न रहे, हमारे
लिए जीवन का वरदान और एक अपूर्व अवसर बन जाये।
यह जो वूंदावादी हो रही है, अगर अपना हिया खोलोगे तो यह उसे निर्मल,
सौम्य और प्रक्षालित करेगी। हृदय के द्वार बद न करें। ध्यान रखे कि घडा जब तक
पानी में नहीं डूबता, उसमें पानी भरने वाला नहीं है। घड़ा ज्यों-ज्यों पानी में उतरेगा,
त्यों-त्यों सागर गागर में समाएगा। अगर चाहते हो गागर मे सागर होना, तो गागर
को डुबोना होगा। चातुर्मास हम सबके लिए कल्याणकारी हो, धर्मसघ के लिए
कल्याणकारी हो; हमारे चित्त को नया शुकून, नया आनद और नई पवित्रता देने वाला
बने, ऐसी ही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है, आप सबके लिए कामना है।
आप सवके भीतर विराजमान परम पिता परमेश्वर की पावन ज्योति को
नमस्कार |
शा ।
चातुर्मास की सार्थकता 17
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