गलियां गलियारे | Galiyan Galiyare

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Galiyan Galiyare by प्रतिमा वर्मा - Pratima Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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का ? आपसे मजाक का रिकता निक्रल बाया है व 1* 'नही साहव, आप जैसी विभूत्ियों के दर्शन कया रोज होते है ?” हम सबने साथ चाय पी। थोड़ी देर के बाद वह चली गई। राजुल उस्ते बाहर तक छोड़ने गई तो मैं भो उठकर साथ हो लिया । लौटकर आया तो बैठते ही राजुल ने कहा, 'वाह ! खूब चहक रहे थे उससे तो नही तो, मैं त्तो खूब संभलकर बातें कर रहा था ?! शुरू से ही निन्‍नी बड़ी तेज है'**राजुल उसकी प्रशसा कर रही थी या शिकायत, यह वाद में पता लगा, जब उसने कुछ उपेक्षा के साथ कहा, 'अब जाने कैसी लीचड जेसी रहने लगी है ! पहले बढ़ी वेल- ड्रेर्ड रहती थीं। इसके फादर भी कोई भामूली आदमी नही, डिस्ट्रिवट जज हैं'**तब भी '**।' मैं जाने किस रो में कह गया, 'लीचड़ माने क्‍या ? अजी मिस साहिबा, भले घरों की नाइंटी एट परसेंट लडकिया यहां ऐसे ही रहती है***आप हैं कहां ?' राजुल को जाने क्‍या लगा, वह मेरी ओर चिढ़कर देसने लगी । फिर वीली, 'यानी कि हम लोग तो भले धर की हैं ही नहीं ! 'नहीं-नही'**तुम लोग बाकी दो परसेंट मे हो ''।/ मैंने अपनी भूल सुधारने की कोशिश की | अपरोक्ष रूप से ही सही, राजुल के सामने मैंने नदिता का पक्ष लेकर भूल की थी । राजुल खुश नही हो सकी है, यह जानकर मुझे खिन्‍नता तो हुई, पर गुस्सा भी आने लगा। ऐसी भी क्या तुनुफमिजाजी है कि उसके सामने सहो बात को कोई सही भी न कह सके ! पूरे समय या तो उसकी तारीफ करते रहो, या किसी एक्टर एक्ट्रेंप की' 'ऐसी एकरसता भी किस काम की ! छा इसके तीसरे दिन नंदिता एक बार फिर दिखाई पडी। रूपक सिनेमा के कंपाउड में वह जाठ और दस सात के दो बच्चों के साथ




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