प्राचीन भारत का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास | Prachin Bharat Ka Rajnitik Avam Sanskritik Itihas

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Prachin Bharat Ka Rajnitik Avam Sanskritik Itihas by रतिभानु सिंह - Ratibhanu Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास की समाग्री १५ लगा। जो कुछ प्राचीन ग्रन्थकारा ने भारतवष के विषय मे विभिन्न भाषाओं मे लिखा था चाहे वह विपय धमशास्त्र रहा हो, चाह अथशास्त्र अथवा चाहे समाज या वला-सम्ब'धी शार' वही अल्वेल्ती के ज्ञान का माध्यम हो गया ! अल्वेरूनी की जिज्ञासा भारतीय इतिहास की खोज की ओर बहुत थी, जैसा कि पहले ही वतलाया जा चुका है, किन्तु उसने अपनी जिज्ञासा की तृप्ति का समुचित साधन ढूढने में कुछ भूल अवश्य की। भारतीम सभ्यता एवं सस्दृति के विषय म अल्बझूनी ने जितना लिखा है, यदि उसका शताश भी प्रामा णिक ढंग से राजनीतिक विपय पर कुछ लिख गया होता ता उसक पुस्तक वा स्थान आज भारतीय इतिहास के अय ग्रथा मे कही अधिक ऊँचा होता । फिर भी, अल्वेस्नी वा प्रयास अत्यन्त सफल रहा और हमारे लिए तो उसका विशेष महत्त्व है (घ) जोवनियाँ साहित्यिक सामग्रियों मे जीवनियों का काफी महत्त्व है। इन जीवनिभोे को यदि प्रशस्ति-काव्य कहां जाय तो अनुचित न होगा, क्योकि इनके लखका ने अपने आश्रयदाता राजाओं की प्रशसा मे अपनी लेखनी का रादुपयोग किया है। उन लेखकों का दृष्टिकोण पूणतया साहित्यिक था । वास्तव म, साहित्य-सुजन के निमित्त ही उन्होने राजाआ का परम्परानुसार आशय लिया था। अपनी साहित्यिक प्रतिभा के कारण ही वे आज त+ः सम्मानित है । इन जीवनी लेखवा अथवा प्रशस्ति गायका वी सख्या बहुत है, पर उनमे ने छ ही ऐतिहासिक सामग्री प्रदान करत हैं। एक साहित्यिक ग्रन्थ मे उपमाजो की जो झडी, अलकारा का जैस्ता अलकार तथा अत्युक्ति की जो युव्ति होनी चाहिए, वे सब इन जीवनियो में है । इन ग्र-यो वी साहित्यिकता ही इनको ऐति- हाप्तिकता को ठेस पहुँचाती है। हपचरित, रामचरित, बललालचरित, पथ्वीर।ज विजय, पृथ्वोराभचरित, कीति-फौमुदी, गोडवाही, नवश्न'हुसाकचरित, विक्रमाकदेवचरित, कुमारपालचरित, भोजप्रवघ तथा हम्मोरकाव्य आदि अनेक ग्रथ इन जोवनियों वे अन्तगत आत हैं। हृषचरित--जीवनी-साहित्य मे ऐतिहासिक दप्टिकोण से हपचरित का बहुत ऊँचा स्थान है। इस काव्यात्मक सस्ट्रत गद्य की रचना सस्कृत गद्याचाय याणभट्ट न लगभग ६२० ३० में की थी | बाण कनौज तथा थानेश्वर के राजा हप के दरबार में रहता था । अपनी बिलक्षण प्रतिभा का परिचय वाण ने हपचरित वे” अतिरिक्त अपने अयय ग्र-थ 'कादम्बरी' मे भी दिया, किन्तु, कार्दम्बरी का कोई महत्त्व ऐतिहासिक सामग्री प्रदात करने मे नही है । बाण ने अपने आश्रयदाता हप का जीवन चरित्र अपने भहान्‌ प्रथ हर्पचरित मे लिखा, जिसकी महत्ता इतिहास की दृष्टि से सवमान्य है। हर्ष के प्रारम्भिक जीवन तथा उसकी दिग्विजयों वा पूण विवरण हपचरित से प्राप्त क्या जा सकता है । रामचरित--स'ध्यावर नदी ने रामचरित की रचना की। अपने ग्रथ मे कवि ने इतनी विलक्षण बन शैलो रकखी है कि एक ओर तो सम्पूण बगन रामायण वी कथा मालूम होता है तथा दूसरी ओर वगाल के रामपाल का वणन स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है । पाल-वश के इतिहास पर यह पुस्तक पर्याप्त प्रकाश डालती है । बललालचरित--बल्लालचरित भी इतिहास की प्रचुर सामग्री प्रदान बरता है 1 इसकी रचता झानदभट्ट ने की थी। सेन-वश के इतिहास को प्रकाशित करने मे इस पुस्तक का बहुत बुद्ध हाथ है ! कुछ भ्रय जीवनियाँ--पृष्वीराजविजय मे पृथ्वीराज के सघर्षों का वाव्यात्मक




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