विचार और विश्लेषण | Vichar Aur Vishleshan

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Vichar Aur Vishleshan by डॉ. नगेन्द्र - Dr.Nagendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अमुसस्धान का स्परूप रह डिपयो का निएैद्ञभ-यरीक्षण १रगा भसगत होगा । है प्रतएवं प्रभुमत्थाम-कार्य में प्रत्येषण पास्यात मौखिषता प्रौर प्रतिपाइन-सौप्टथ का स्ववप एक-हा सही है--अह विपय के प्रमुसार बदलता रहता है। इज्हीं मान्यतापों के प्राघाए पर साहिए्पिक प्रमुलस्भास का स्वकूप-विश्तेषण करता सजीक्षीस होगा। प्रस्तु ! चइम्वेषण पैसा कि ऊपर स्पप्ट किया है सत्मेपण का भर्ष है लोग । धाहिए्य में प्रस्थे पथ के ढई प्र्ष सौर कोटियाँ हो छकती है १ प्रभाव का ज्ञाव --पअजशात सैलकों ता प्रस्षों प्रादि का स्‍््वेपण इसके प्रस्तर्पत भाषा है। भ्ह्मात लेखकों भौर प्रत्थों से दाष्पर्य ऐसे सैलकों भौर प्रर्पों से है बिभका प्रस्तित्व प्रमी तक प्रहात है। ३ प्रभुपक्रपप कौ उपलब्पि--इसवे प्रतर्यत ऐसी साप्रष्ठी का प्रन्वेपभ प्राता है जिसके प्स्तित् के: दिपव में तो जाग है पर जो सापाएपश' प्राप्त नही है) हिम्दी में इस प्रकाए के प्रस्वेपण के लिए प्रद्लीम क्षेत्र है। ३ उपलम्प वा पोषन--शबौत 6प्पों के प्रस्वेषणष द्वारा प्रथप्तित त्प्पों का सुं्ोपन इसके प्न्तमत श्राद्ता है। उदाहरण के लिए तुलसी सूर पादि के जीगन-चरित के दिपय में इस प्रदार बा पंधोपषन निरन्तर होता रहा है क्‍प्रोर हदाबित्‌ उसके लिए हक्‍्लौर हौ भप्रबकाण है। इसके प्रतिगिक पाठ्मष्यपत पाउ-स॑प्रोपत संपादग जौ इसी कोटि में घाते हैं! < दिशच्वार पा तिद्धान्त का प्ल्वेपप्य--किसी दबिआए-पएपरा का दिवस कप मि्िप्ट करता इस कोटि में प्राता है। ३ ऐैलौ या रुप-निधास-विप्यक प्रस्येपण--पों तो मैत्ती या रुप-विज्ञान बिचार प्रपवा हृष्टिफोच का ही प्रतठिगिस्द होता है भोर इस हृष्टिस यह रूप मूछत' विच्वाए-डिपयक प्म्देपण से भिम्द गही है फिर भी साहित्प में पैलौ पा रुप-दियात बा स्वद॑र॑ञ महत्व होने के बारण इस पृथक मात लेन में कोई धापति वही है। घौर, माहिएय में टिम्मन्रेह एस प्रतार बे एन्येषण वा! महत्व है । उदाहरण गे सिए प॑० पदमखिह्द से संखत-प्राइल से शपाए-मुक्लप् परम्परा का उद्दाटस कर विदारी लतशई प्रघदा प्स्प शूंगार-मुश्यर-ब्राष्यों क ध्याध्याम मैं प्लौर इबर राव शी ते स्ववस्मू रामायज धादि के शाद गमचणिति-पागत बौ एड़ी वा लपम्दरद स्पावित कर पष्यनयुवीन चणिलाप्पों के अभ्ककत में एर




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