प्रसाद के नाटको में नियतिवाद | Prasad Ke Natako Mein Niytivad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नियतिवाद सद्भाविद्र विश्लेषण २३
झवत चार वा प्रयाग विया जाता है। उक्त रा 7 दे पर्याय के रूप मे नियतवारदा
(निमतिवाद नहीं। राब्ट वा प्रयोग समीचीन जान पढ़ता है । नियत्तवादिया वे
अगुसार व्यक्ति निश्चित निय्रमो द्वारा श्नुशामित हाता है 1 बरानुक्षम, चरित्र,
वातावरण आटि का पूरा प्रभाव उस पर पढ़ता है और वह समान परिम्पियों मं
एवं समान व्यवहार करता है । परिस्थियाँ बदल जाने पर उसव 'यवहार मे
भी परिवतन हो जाता है । जे० बी० वाटसत आदि व्यवदह्ारदादी यह मानकर
चुन हैं कि ब्िमी मनुष्य के व्यक्तियतिर्माण तथा पिवटारनदवति पर वातावरण
का सर्वाधिक प्रभाव पढ़ता है। मटि किसी के व्यक्ति के पूवदर्ती जीवम का
चान हा ता उसव “यवहार के सम्बंध मे एक प्रवार से भविष्यवाणी वी जा
सकती है । व्यक्ति हतुवाठ 11.3७ ० 0०ए४४॥५) के श्रनुमार वाय वरन
प्र विवश है और उसे कसी भी प्रवार वो इच्छा वी स्वत्न्नता प्राप्त नहा
है। नियतवारियों वो दृष्टि मे हतठुबाद और दच्छा स्वातत्य दा विराधी चद
हैं। हामक मतानुसार व्यक्ति विसा भी वाम का स्वतचतापूवद नहा कर
सबता वयोकि उसका लिए प्रपनी इच्छा शक्ति का पूणत नियत्रित करता
संभव नहा है। हास वी भाँति ह्वम भी निवतवाट वा समथत् था उस
मताबसार मनृष्य * सभी काय अ्रवष्यमाविता (४८०८४४७) के बठार
नियमा का भ्रनुमस्ण करत हैं. भौर उस किसी भा प्रकार वा स्वातः्य प्रात
नहा है। स्िनोजा क| भी माययता थी वा सस्तीम मानव र्वतत्र महा माना
जा सबता स्वतथ् तो केबत “जर है । स्वतंत्र इच्छा चत्ति कवल व्इबर कय
घरिष््य है जा भ्रमोम एवं श्रगन है
इमर झार एस भी विदारक हैं जिह भ्रतिमतवारी (190०७घााएघ)
कहा गग्मा है। उनके मतानमार व्यक्ति जब बोट घनाव अथवा विशय
करता है ता वह किमी पूववर्सी याजवा श्रथवा भ्रवागत उेग्य वा दृष्टि म
रस वर ऐया नही करता । उसके निण॒य मे सयोग-तत्व का ही प्रमुखतता देखी
जाता है । जेम्स मार्टीन उक्त मत वे! समथक्ता म से है।
नियपदाद भौर झनियतवाद ब प्रतिरित्त एक तासश महत्वपूरा मिद्धान्त
भी है डिम ध्रात्म तियतवाद ($ढ॥ उल्टाफ्रपाफता) व नाम से अभिरेत
किया शाहा है । प्रसानू ब समय थे ही *स सिद्धात वा प्रचलन रहा है। इसक
अगुगार व्यक्ति भछ था बुरे वे चुनाव मे स्वतत्र है। बह जाही विवया वो
चुनता है जा उमर उहद्यपरा रूप से सामतस्य रखत हैं। ने प्रोजन
मतुहत्य महा थे प्रक्तत पिना रिसाो हुयाजन मा को सूख प्यक्ति ना स्मी
डे
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