कषाय मुक्ति | Kashaay Mukti

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Kashaay Mukti  by प्रताप चन्द्र - Pratap Chandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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', मे दुख की अनुभूति ही नही होती होगी। वे दु ख-चेतना-मुक्त समता-आचरण - के साक्षात मूर्त रूप है| भौतिक-सुख-चेतना भी प्राणी को समता विचार और समता आचरण से बहुत दूर ले जाती है। भौतिक-सुख-चेतना वाले प्राणी का अर्थ है- विषय-भोगो मे मस्त, इन्द्रिय-सुखो मे डूबा हुआ, सासारिक-सुखो मे ; आसक्त, मास-मदिरा-कुशील-सेवन मे लिप्त, सुख प्राप्ति हेतु आर्त-रौद्र-ध्यान - करता हुआ और अनेक प्रकार के बुरे सकल्प-विकल्प करता हुआ, दूसरो के ' हित-अहित का ध्यान नही करने वाला, समता विचार और समता आचरण ; से शून्य प्राणी। जो मनुष्य भौतिक-सुख-चेतना मे डूबा हुआ है और सासारिक सुख-भोगो की इच्छा करता रहता है वह समता से बहुत दूर . चला जाता है। समता आचरण के लिये आवश्यक है भौतिक-सुख-चेतना से मुक्ति और इन विषय-भोगो के सकल्पो-विकल्पो से भी मुक्ति, इन सभी , बातो से उदासीनता। कुछ अपवादो को छोडकर प्राणी के अधिकाश अशुभ विचार और . अशुभ काम प्राय किसी-न-किसी प्रकार की अशुभ या अशुद्ध सुख-चेतना ५ से ही होते है। आत्म-हत्या करने वाला भी शायद अपनी आत्म-हत्या से . दूसरो को दुखी बना कर स्वय सुख पाने की कल्पना करता होगां। युद्ध में लखते हुए मरने वालो को अपनी वीरता दिखाने और वीर कहलाने के विचारों से उनके मन मे सुख की अनुभूति होती होगी | कठोर अग्नितापस भी स्वय को भयकर ताप देकर महान तपस्वी कहलाने की भावना से या स्वर्ग-सुख पाने की आशा से सुख अनुभव करते होगे। सुख _की अनुभूति शरीर से कम और मन से अधिक होती है। यही कारण है कि लोग प्राय मानसिक सुखानुभूति क॑ लिये बडे-बडे कष्ट और खतरे उठाने के लिये तैयार हो जाते है। सुख बाहरी पदार्थों मे नही है। वह तो मन के भीतर विचारो से मिलता है। शत्रु के मुँह से गाली सुनने से क्रोध आता है किन्तु ससुराल मे महिलाओ के मुँह से गीतो मे गाली सुनने से क्रोध नही आता, क्रोध की जगह प्रसन्नता होती है| जिन कामो से एक समय मे लोगो को सुख होता है उन्ही कामो से दूसरे समय मे उन्ही लोगो को दुख होता है। मनोविज्ञान कहता है कि प्राणी यदि विषय-सुख-भोगो से होने वाले भावी दु खो का चिन्तन करे, भौतिक सुखो को सुखाभास मानने लगे, उनसे अन्त मे दुख पाने वाले यादवों और कौरवों के ऐतिहासिक उदाहरणो का नब का इ5 568 ००७७ ४०२७७ 2७ ४७७७४ ०७७५७७७ कक क ० कक ७ ०० कक कक बंककर कक कक कक >> कक कपाय- के *०४ ७ ३ 4१220 ०३४०३4५४३ ३४ 2४522 85822 888$2४288555555:555552 ८2555




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