टुकड़ो में बंटा आकाश | Tukadon Men Banta Aakash

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Tukadon Men Banta Aakash by छविनाथ मिश्र - Chhavinath Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बन्धु ! सुनो टुकडो में टूट रहा आसमान एक साथ चलो कई लाख हाथ थामे समय उठा तेज हुई दवी हुई आहट पुलक उठी घरती के माथे की सलवट धूप ने बगावत्त की दहुक उठी फूलों के ओठ जडी रोशनी अश्व हुए विश्रवृखल, लुढक गया अ शुमान टूट गई किरणों की रेशमी लगामे बिदक गई हवा कट्ढी अथ कुछ नया होगा वेचारे निष्कर्मा क्षितिजों का क्या होगा अधघटन' का द्वार खुला टूट गया नकली आवाज़ो का सिलसिला शिखरो पर आरोपित ढहे सभी कीर्तिमान लिपट गई मृत्युमुख विकल्पो से झामे रचना १९६५ प्रवाशित|वातायन १९६७ [ १७




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