समकालीन कहानी संदर्भों के घेरे में | Samakaleen Kahani Sandarbhon Ke Ghere Men

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Samakaleen Kahani Sandarbhon Ke Ghere Men by गीताली वर्मा - Gitali Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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7 दाम्पत्य सबधों में आयी क्डवाहट, अलगाव और खालीपन की समाप्ति सबधो के खत्म हो जान में होती है। कभी वी पत्नी और पत्ति के बीच का यह सबंध कानूनी रूप ले लता है तो कभी आपसी समझौत वे आधार पर अलगाव पैदा करता है। नयी कहानी न इन दानो ही पक्षो को उजागर किया है। इन सबंधा के अलगाव के बाद एक पक्ष आता है मन स्थिति और आत्मसधप का। पुरुष तो फिर भी अपनी पृ पत्नी के सबंध को एक बार मे राघो कर भूला दे लेकिन तारी कोमल हृदया और सवदनशी ल होने वे कारण ऐसा नही कर पाती | वह न तो पूरी तरह से अपने अतीत को भूल पाती है न सभाल पाती है और एक ऊहापोह की स्थिति उत्पन हो जाती है। 'पारू ने कहां था! (मणिका भोहिनी) की कहानी इस पक्ष को अलग ढंग से रंखाबित करती है जिसमे पति की इच्छा होती है कि सबधा मे दरार आने के बाद, भी गहस्थी की गाडी किसी तरह चलती रहे, लेकिन नारी इस दोहरी स्थिति वी सलीब की ढोने मे असमथता अनुभव करती है ओर इसे ढोने की अपेक्षा एक ही बार खत्म करन की कामना करती है! दोना के बीच जब कोई भावनात्मक और रागात्मक लगाव ही नही रह जाता ती उसे ढोने से क्या लाभ ? इसलिए इस किस्से को वही तमाम करना ही बेहतर है । इस कहानी में दूसरा पक्ष यह है कि पत्नी पुव पति से अलग होकर भी उससे पुण रुपेण नफरत नहीं कर पाती है। 'अपने वतमान प्रेमी मनीष की बाहों मे घिर कर भी अपने पूव पति का स्मरण करती हुई कहती है--““मुक्त होकर भी हम चाहे तो किसी को बहुत वहुत प्यार करते रह सकते हैं |” इसी मन स्थिति पर आधारित निमल वर्मा की “वीक एण्ड” है जो नारी मन को सूक्ष्मता से अकित करती है और पयाप्त प्रभाव छोडने मे सफल हो जाती है । सूयवाला की “गुमनाम दायरे” भी इसी मन स्थिति को उभारती एक कडी है । पुरुष का अह और नारी का दप वेवाहिक सबधा की नीव को हिंला देता है। दोनो एक दुसरे से अलग होते हुए अपने अपने अह और दप में खो जाते हैं। उनकी बेटी लिधि वह सेतु है जो दोना अधेरो मे प्रकाश का काम करती है। लेकिन वही अब उन लोगो स दूर होस्टल मे रह रही है | उसकी सहेली उसके घर माता पिता में सुखी ससार की छाया दिखाने जा रही है, यह विडम्बना ही तो है जिसके पिता मा से अलग हैं, क्तु यहा भी भा शेप रह जाती है। पिता बंटी के लिए, उसके छुटटी आने तक के लिए, दो हफते के लिए भी अपना नया विवाहित जीवन जीना शुरू फरने से नहीं रुकना चाहते । लेकिन मा बिना पिता के ही अपनी बेटी को सब खशिया और आनद देने के सपने देखती रह जाती है । यह कहानी पिता औौरु मा के प्यार और ममता का अकन बडी गहराई से करती * _




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