ऋग्वेदभाष्यम् | Rigwedabhashyam

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Rigwedabhashyam by मद्दयानन्द सरस्वती - Maddayanand Saraswati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऋग्वेद: मे० २ | अ० १ ।सू० १1 ... १४१ पुनस्तमेव विषयम हक कक ः ० हे फिर उसा वि०॥ नये स्तोलभ्यो गोअग्रामश्वपेशसमस रातिमु- _ पसृजन्ति सूरय॑:। अस्माज्व तोश्व अर हि नेषि . वस्य आ बुहददेम विदथें घुवीराः॥ १६ ॥१९॥ 0202: __ थे। स्तो5तृभ्य: | गोअंग्रम्‌ | अश्व॑पेशसम्‌ | अग्नें । रातिस। उप$सृजन्ति । सूरयः ।अस्मान्‌ | च। तान्‌। चय। प्र। हि। नेषिं।| वस्यः | आ | बहत । वर्देस | विद- ' थें। स॒5वीराः॥ १६ ॥ १९॥ पदाथः-( थे ) घार्मिका विद्याथिनः ( स्तोठब्यः) सकलवि- द्याध्यापकेण्यो विदृज्यः (गोअग्राम) गावइन्द्रियाण्यग्रसरांषि यस्यां ताम्‌ ( अश्वपेशसम्‌ ) शीघ्रगन्त पशों रूपमिव रूप॑ यस्‍्यां ताम्‌ ( अपने ) विहन्‌ ( रातिम ) विद्यादानक्रियाम्‌ ( उपस्ाजान्ति ) | दंदते (सूरयः) विद्याजिज्ञासवों मनुष्याः (अस्मान) (च) (तान) | (च) (प्र) (हि ) खलु (नेषि) नयसि ( वस्यः ) अत्युत्तम॑ वास 6 स्थानम्‌ ( आं ) ( बुहृत्‌ ) महंत ( वदेस ) ( विदथे ) विद्यासं- | ग्राम ( सुवीराः ) उत्तमेंः शोयोदिगुऐरुपता; ॥ १६ ॥ | जन्वय-हे अमन त्वं, ये सूरबः स्तोतमभ्पों गाअग्नामखपंशस | रातिमुपरुजन्ति तौश्वास्माँश्व वस्य आप्रणेषि हि सुवीरा वयं विदथे | बुहदददेम॥ १६ ॥ रा




User Reviews

  • धर्मरक्षक-Dharmrakshak

    at 2021-07-02 21:40:29
    Rated : 8 out of 10 stars.
    यह भी ऋग्वेद का द्वितीय मण्डल है
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