भरत भाष्यम खंड १ | Bharat Bhashyam Khand 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
205
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)् भरंत -साष्यप् ।
अन्यान्यपि हि गीतानि प्रयुक्तान्यपि छुव्धकैः ।
यथाविधानेन पठन् सामगो यत्र मध्यमेस् ।
सावधानस्तद्भ्यासाप्परं ब्रह्माघिगच्छति ॥:४ ॥
(तथा च याज्ञवल्कष्यः )
“हे ब्रह्मणी वेदितज्ये, शब्दबह्म पर च चैंत् ।
| अपरान्तकमुल्कोप्यं सद्॒क प्रकरी प्तथा,।........
ओवेणक च रोविन्दमुत्तरं गीतकानि तु ॥६ ॥
* ऋग्गाथा पाणिका दक्षविहित बअह्मगीतकम् |
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ज्ेयमेदत्तदभ्यास - करणाचोक्तन्संज्ञित्तम ॥७॥ ..
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गी्द वार्य नाव्ययोग्यं च पाठ्यम्। ,
शास्तेडब्रो चदू मारतीये मुनियद् ह
संक्षिशलादू दुर्मह तस्व तत्वम् )
भाष्ये खींपे व्याकरोन् नाम्यदेव; ॥ ६ |
शीर्णस्य तत्य प्रन्थस्य शुद्धिः सयोजन कृंतम |
चतन्येन तथा भाषाठीका 'संजीयनी! झता ॥ ७]
महाराष्ट्र स्लगिरी आराम: छुद्ाल - मण्डछे |
नेरूरों माकप्रतिमः काछेश्वर - कृपाइतः [| ८ ॥|
प्रमु-देसाई'ति तन्न पुरा गौडाअतिप्टितः ।
वंशोडसि तस्मिञ्ञतिन पुण्डरीकात्मजेन दि ॥ ९ ॥
कृतेय भरतभाष्य-टीका चैतन्य -दर्मगा ॥
शाब्ाण्याकेल्य सर्याणि निर्मेभ्य परिमतानि च || १०॥
ग्राचां मनोगत॑ युद्ध ठीकायां चात्र कस्पते ॥ + | «
सा यहन्तु तृप्पन्तु सन््तास्तु झुद्दबुद्धघम॥ ११॥ | ____
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