मज्झिम निकाय | Mazjim Nikaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
702
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सास
( ४ ) 'चूछ-वेदछ
( ५ ) घूल-धम्म समादान
( ६ ) सहाधम्स-समसादान
( ७ ) वीम॑सक
( ८ ) फोसंबिय
( ९ ) ब्रद्मगनिम्नंतन्तिक
(१० ) सार-तजनीय
[मर]
विपय पृष्ठ
आत्मवाद स्याज्य । उपादान-स्फघ ) भष्टांगिक-
सारे। संज्ञावेदित-निरोध । स्पर्श, वेदुना,
अज्लुशय | 1७५९
चार प्रकारके धर्माइयायी । १८४
घर्माज्यायियोंके सेदु । १८६
ग्ुरुकी परोक्षा | १८९
सेल जोकूके छिये उपयोगी छः बातें । पृ
घुद्धद्वारा रष्टिकतों टेडवर ब्रह्माका अपमान]. १९४
सान-अपनानका त्याग (ऋकुसंघ चुदछका उपदेश )।
सहासोद्रव्यायनका सारको फटकारना १९८
२--भसज्किस-परणासक
६ ( १ ) गदहपाति-वग्ग |
( ४ ) पोतलिय
( ५ ) जीवक
( ६ ) उपाकि
( ७ ) कुक्क्र-चतिक
( ८ ) अमय राजकुपार
(९ ) बयहुवेदुनीय
(१०) भअपण्णक
७ ( २ ) मभिवखु-वग्ग
( $ ) अम्वलट्ठिक-राहुलोबाद
( २ ) मभहदा-राहुकोवाद
( ३ ) चूक-सालुंक्य
( ४ ) महा-सालुंक्य
(५ ) मद्दाछि
( ६ ) लकुटिकोपस
( ७ ) चातुस
( ८ ) नलककपान
( ९ ) गुछिस्सानि
य
२०५-४४
स्वृति-प्रस्यान 1 आत्मंतप आदि चार पुरुष | २०७
ग्यारह अस्त द्वार ( ध्यान ) २०८
सदाचार, इन्द्रिय संयेस। परिसित भोजन 1
जागरण । सहर्म । ध्यान । २१०
घ्यचदह्ार (-संसारके ज॑जालछ )के उच्छेदके उपाय । २१४
साँस-भोजनमे नियम २२०
सन ही अधान, काया और वचन गौण । २२२
निरथ्थक धत | चार अकारके कर्म २३१
छामदायक अग्रिय सत्यकों मी बोलना चाहिये । २६४
नीर-क्षीरसा सेल-जोल । संज्ञा वेदित-निरोध । २३७
द्विविधा-रहित धर्म | अक्रियवाद जादि सत-चादु |
आत्मंतप आदि चार पुरुष 1 २३५९
२४७५-७८
सिथ्या मापणकी निन्दा २४७
प्राणायास । कायिक सावना । मेत्री क्षादि
मावनाय। २४८
बुद्धने क्यों कुछ बातोंकों न व्याख्येय, और कुछ
को व्याय्येत्र कहा । २७१
संसारके वंधन और उनसे मुक्ति 1 २७०४
नियमित जीवनकी उपयोगिता | ऋछश;: शिक्षा | २०७
छोटी वात मी मारी हानि पहुँचा सकती है। २६२
मिक्षुपनके चार विद्न | २६७
झुमुक्षके कर्तव्य । २७१
अरण्य-वास व्यर्थ, यदि संयम नहीं। २७३
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