मज्झिम निकाय | Mazjim Nikaye

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Mazjim Nikaye by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5४ ज१्‌ ण्र्‌ ५३ ण्‌8 जज ण्द ७ दे द्छ द्ण द्द दर द््ट द्थ सास ( ४ ) 'चूछ-वेदछ ( ५ ) घूल-धम्म समादान ( ६ ) सहाधम्स-समसादान ( ७ ) वीम॑सक ( ८ ) फोसंबिय ( ९ ) ब्रद्मगनिम्नंतन्तिक (१० ) सार-तजनीय [मर] विपय पृष्ठ आत्मवाद स्याज्य । उपादान-स्फघ ) भष्टांगिक- सारे। संज्ञावेदित-निरोध । स्पर्श, वेदुना, अज्लुशय | 1७५९ चार प्रकारके धर्माइयायी । १८४ घर्माज्यायियोंके सेदु । १८६ ग्ुरुकी परोक्षा | १८९ सेल जोकूके छिये उपयोगी छः बातें । पृ घुद्धद्वारा रष्टिकतों टेडवर ब्रह्माका अपमान]. १९४ सान-अपनानका त्याग (ऋकुसंघ चुदछका उपदेश )। सहासोद्रव्यायनका सारको फटकारना १९८ २--भसज्किस-परणासक ६ ( १ ) गदहपाति-वग्ग | ( ४ ) पोतलिय ( ५ ) जीवक ( ६ ) उपाकि ( ७ ) कुक्क्र-चतिक ( ८ ) अमय राजकुपार (९ ) बयहुवेदुनीय (१०) भअपण्णक ७ ( २ ) मभिवखु-वग्ग ( $ ) अम्वलट्ठिक-राहुलोबाद ( २ ) मभहदा-राहुकोवाद ( ३ ) चूक-सालुंक्य ( ४ ) महा-सालुंक्य (५ ) मद्दाछि ( ६ ) लकुटिकोपस ( ७ ) चातुस ( ८ ) नलककपान ( ९ ) गुछिस्सानि य २०५-४४ स्वृति-प्रस्यान 1 आत्मंतप आदि चार पुरुष | २०७ ग्यारह अस्त द्वार ( ध्यान ) २०८ सदाचार, इन्द्रिय संयेस। परिसित भोजन 1 जागरण । सहर्म । ध्यान । २१० घ्यचदह्ार (-संसारके ज॑जालछ )के उच्छेदके उपाय । २१४ साँस-भोजनमे नियम २२० सन ही अधान, काया और वचन गौण । २२२ निरथ्थक धत | चार अकारके कर्म २३१ छामदायक अग्रिय सत्यकों मी बोलना चाहिये । २६४ नीर-क्षीरसा सेल-जोल । संज्ञा वेदित-निरोध । २३७ द्विविधा-रहित धर्म | अक्रियवाद जादि सत-चादु | आत्मंतप आदि चार पुरुष 1 २३५९ २४७५-७८ सिथ्या मापणकी निन्दा २४७ प्राणायास । कायिक सावना । मेत्री क्षादि मावनाय। २४८ बुद्धने क्यों कुछ बातोंकों न व्याख्येय, और कुछ को व्याय्येत्र कहा । २७१ संसारके वंधन और उनसे मुक्ति 1 २७०४ नियमित जीवनकी उपयोगिता | ऋछश;: शिक्षा | २०७ छोटी वात मी मारी हानि पहुँचा सकती है। २६२ मिक्षुपनके चार विद्न | २६७ झुमुक्षके कर्तव्य । २७१ अरण्य-वास व्यर्थ, यदि संयम नहीं। २७३




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