आजादी की लड़ाई | Azadi Ki Ladai

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Azadi Ki Ladai by वीर लक्ष्मीचन्द गुप्त - Vir Laxmichand Gupt

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Laxmi Chand gupt was born in the year 1916 and was a freedom fighter and an educationist.  He wrote many books and pamphlets between 1936- 1946 at a young age.  His books was banned by British Government  and three times warrants for his arrest  were issued and subsequently banned him to enter 5 adjoining states of Delhi.  As his literature by them were found to be against British Government and leading masses to fight against them .  He told me that he would in disguise sell his books for 2Rs on railway platforms so that people could read during their travels

He was a graduate ofShree Ram Col

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राचीन भारत की कलक ]----३३०--+०७ ३०० न्नककनल++ 9. 7५ , दैमारा प्राजीन कोज़ कितना छुन्दर था, हमारी, भूमि, प्राक्की-स्थफपा, , जन्मदात्री . शान गोरप शालिनी, प्रत्यक्ष केंदमो रुपियो, घन-यान्य पूर्ण, पालिनों और श्र _ को दनुग र करने बाली थो। हमारा भाग्त घप भू लोक दर ,गोरेष ओर प्रकृति का पुएय लोख|स्थल्ल था। इस देश की रक्षा के लिये मनोहर गिरि हिमालय ओर पत्तित्र करमे फे छिये गड़ा जल मिलता है । यहा पर घद्दी नगर, बन शेल नदिया यो पहले था शाज भी मित्रतो द॑ परन्तु आज हमारा दृष्टिख उतका असली रुप ओभव है । हमारे देश सप्ार का! सिरमोर और भच भूतियाँ का प्रथम भणडार था।भिंगर्धाने नि नर- खहष्टि का सब से पहले यहद्दा पर द्वो विस्तार किया; यहा से दौ प्रह्माजी ने सृष्टि रचना का आम कियो। यह पुरेय भूमि घडी ही प्रांसद्ध थो आर इसके निवार्सा झाय्यें कदलाते थे, थाज उंसा भारत वर्ष के लाल अधो गति में पडे घो+रहे ई परन्तु उनकी उच्चता के चिह्ठ आज भो,मिलते दें यहा पर शान्ति फा निधास था ए्वर्यीय'मार्वों को लेकर प्रूषि सुनि यक्ष दृदन किया करते थे। हमारे पूर्वजनों को फोौर्ति आर सरार या 5हा है। धद्द धर्म पर निछ्ावर होते थे औी धघमम उनशी रदा कश्ता था। बह गस्मोराजे, छोर ये घुछ घीर थे और सच्चे दृश भेमो!थे उनके दशन,।करने दी मजुष्य स्वग प्राप्त कट ऐेत। था। जिन मर्दियों पूजा किया करते थे आज उनमें पश'घोद प्रक्तो $




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