शेष नमस्कार | Shesh Namaskar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)* शेष नमस्कार / २५
वे ऐसे ही हैं । या फिर हा सकता है, सत्र न मर पल
/पव तो दिया था ३४ कम छू
/ज़िन जगहां पर हो सकते हैं, वहाँ-वहाँ तो दिया हे के,
सार्फत भी कहलवाया था ।! +$७८०६८. टन
“उन लोगा को शायद मिले ने हा ?!!
“हो सकता है। यह भी हो सकता है कि सुन कर भी न आये हो | आयेंगे
पया ? किस मुह से आयेंगे ? हमेशा हो तो बाहर ही बाहर रहे | धर परिवार कब
देखा ? देखा ही नही जब, तो फिर गृहस्थी क्या बनायी सै?
ग्रहस्थी बनाना किसे कहते हैं, यह मुझे उस समय मालुम न था ।
बार वहाँ रहता है, मा | क्या करता है ?”
“छि | रहते हैं, वोलना चाहिये । वे देश के लिए काम करते हैं ।/”
देश का काम वया होता है, ठीव-ठीक समझ नही पाया था। पर यह
जानता था वि जेल जाना पढता है। वाया बीच-बीच में जेल गये थे, यह सुना था ।
“सिर्फ देश का पाम २!
“छूटने पर पाठक लिखते हैं। बहुत सी पुस्तकें लिख रखी हैं , बडे हाते पर
पढना । ढेर सारी कापियाँ। फिर उनके दिमाग मे ने जाने क्तिनी तरह के व्यापार
प्रने की योगना हैं । यह सब करके ही तो सब कुछ चौपट हुआ है। मेरे बाबा जब
तक जीवित थे, उह कितना समझाया 7रते थे। सुधीरदा ने भी क्तिनी बार
समझाया है ।”” के
सुधीर मामा एक माँव थे । सुधीर मामा का, हम लोगो के उत्तरी दिशा वाले
कमरे के ठोक बगय में, एक बहुत बढा नारियल का पेड था, ठोक उसी तरह खड़े
रहना ।
एक दिन सुबह बहुत ठड लग रही थी फिर ऊपर से वार्षिक परीक्षा खत्म
हो छुको थी। नींद हट जाने पर भी रजाई के नीचे चुपचाप दुबका हुआ था । सुधीर
मामा के आने की आहट मिल गयी थी । नियमानुसार नीम + रस में घूँट भर रहे हैं।
पृवप वी ओर पीठ करबवे' तुम शाप्रद बडी डाल रही थी। सुधीर भामा को कहते सुना,
“तुम्हारा वडा वाला अगर इस तरह नहीं चला गया होता अनु तो और आठ-दस
साल मे तुम्हे एक सहारा मिल जाता ।”!
अचानक दाल फेंटा हुआ कटारा झनझनाते हुए गिर पद्य था। माँ | तुम्हे
शायद मालुम नही, में विल्तर से फट्रांक से दूद पडा था। मैं दरवाजे के पीछे इस
तरफ खडा हो गया, जहाँ ध्वप अविरल ठोर की तरह फैलों हुई थी । तुम्हारी स्थिर हो
गयी हृष्टि को मैंने देख लिया था । तुम्हारी दृष्टि स्थिर थो, पर वात करते हुए
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