विधवा विवाह मीमांसा | Vidhva Vivah Mimansa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है प्रस्तावना
यदि प्ांचीन, भारतीय ही नहीं, दुनिया के इतिदास पर इस
एक वार दृष्टि डालें तो सहमत ह्वी पता चलता है कि समय-समय
पर प्रत्येक देशों में महान पुरुषों का जन्म इसलिए होता रहता है
कि वे उस देश की जनता को आने वाली विपत्तियों से सचेत कर
दें और उन्हें सच्चा मार्ग वतक्ना कर उचित रास्ते पर चलने फी
सल्ञाह दें । हम प्रत्यच रूप से देख रहे हैं कि भारत में आज कितनी
ही महान आत्माएँ चत्नते-फिरते पुरुषों के रूप में देश का उपकार कर
रहीं है । महात्मा गाँधी उन पवित्न भात्माओओं में से एक हैं, जिनकी
शोर हमने इशारा किया है। मद्दात्मा जी के भ्रनुयायी अमहग्ोग-
आन्दोलन का पक्ष समर्थन करते हैं, भौर माननीय चिन्तामणि महो-
दय के अच्ुयायी आज मिनिस्ट्री के उच्च पद पर चढ़ छर ही देश
का सुधार करने में भज्ञाई का अलुमव कर रहे हैं। सम्भव है, कप
दोनों के एक हों, पर सतभेद दोनों दलों में छ और दोनों दलों
, के श्रन्यायी भी अपने उस नेता को ही अपना नेता मानते हैं
जिसने उस आन्दोलन ( यहाँ पर 'शानदोलन! शब्द फा श्र्थ
सामाजिक अथवा राजनैतिक सुधार शी समर लेने में विशेष
सुविधा होगी ) छा जन्म दिया है।
हन सब दातों से पाठकों को यद्ट समझने में सुदिधा हुईं होगी
कि भत्येक धर्म एक ज्यक्ति-विशेष के अपने निजी सिद्धान्त ( 56
<०रशंथांग ) मात्र द्ोोते हैं। थ्राज भी अत्येक सम्प्रदायों का लच्य
केवल उन सिद्धान्तों का प्रचार करना मात्र है, जिसके वे अनुयायी
है, अ्यवा यों कहिए कि वे उस घर्मं श्रथवा रीति-रिवाज के जन्म-
दाता के सिद्धान्तों का प्रचार करते हैं ।
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