जवाहर जीवनम् | Jawahar Jivanam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आमुखम्
सुद्दइवर पश्टित रामहरण जी शास्त्री ने जब एक दिन सहस्मा्
आकर अपनी सर्वप्रसम का्यद्ति “वद्ाहर-चीवनम' की पराए्ट्रविपि देखने को
दी, तो उन्हें एवं कविन्प में पाकर बाइचय ही हुआ । सम्कृत के एक विडानू
के रुप में तो वे पहने से ही परिचित ये ।
कोई व्यक्त अपने प्रथम प्रयास मे ही यदि दस कोटि का वाय्-+
गाया-काब्य, खग्द काय्य, महाकाज्य विवने की क्षमता पा जाता है, तो यह
मानना होगा कि उम्र एकाएक किसी नैसगिक प्रतिमा का उदय हुआ है,
उसवी मानप्तिक स्थिति सहया उन्लीत्र हुई है, उसका चित्त किसी आद
समाहित हो गया है, अयवा क्रिसी महान् कराया या वेदना से उसक्ता हृदय
द्रवित द्वोक़र छन्दी में सपायित्र हो उठा है 1
गहधि वाल्मीकि का सापस-हेदय भी कसी कछया वियतित हो छन््दों
मे प्रवाहित हो उठा था । बेदना का बही पुश्पय प्रतवा बादिजाज के नाम
सैंआस्पाव हुआ। तिइचय ही काउएे, कला अथदा समीव का उत्स सुख या
विलास की भूमि नहीं, वह चेदता की मर्मस्थवी ही है 1
प्रस्तुत कात्य की घेरया भी कवि को स्वीकारोकित के बनुवार कोटि-
कोटि भारतीयों के हृदय-हार, राष्ट्र के उर्पंघार और समस्त विस्व के परम-
प्रिय, लोक-तायकर प० जवाद्रतात नेहरू का एकाएक विरोप्रान और तज्जन्य
भवि-तानम वी पीटा ही है ।
भारत का जो शुरु महायुग बमी-अमी पार हजा है, उसमे महामा
गाधी, भगवान् वितव, स्वामी दयावन्द, रामह प परमहस, स्व्रामी विवेज्ञनत्द,
चु० मदन साहने माउवीय, विश्वक्रति रवीन्द्र, योगी करविन्द, देश रन राजेस्दर
राष्ट्र-सघटता सौहपुरष पढेठ, बनुप्रम सेनानी सुभाषचन्द्र बोस बादि जंखे
बनेक पुष्य इलोक विभूतिया अवतरित हुईं 1 इत अनेक नामों के साथ जन-
ब्रिय पष्टित जवाहरताज नेहरू का नाम भी उज्ज्दलतम नक्षत्रों की ही भाति
इतिहास के प्रष्ठा पर सदा दिप्रवा रहेगा । ऐसे पुष्व चरिताः वो अपने समर्थ
स्वर, सग्रीत बौर मापा में सादर कौन-सा व्यत्ित घब्य न होगा ? ऐसी
पावन रहा वाले गायक, जिनकी हतियों मे हम अपने युग-युदुषों का दर्शन
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