आत्मजयी | Aatmajayi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
938 KB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वाज़श्रवा का क्रोध
मृत्यवे त्वा ददामि
तेयारियाँ जिनसे घेर कर तुम अपने को
कृताथ समझ रहे
ये विधान और प्रणालिया - जिनके पार
तुम मुझे तुड़े मुडे-से दीखते
देसो मुझे भी 1--
तुम जिन वस्तुओं को प्रिय या अप्रिय कहते
यदि केवल उनम हूँ,
तो मुझे भी त्याग कर
मुझसे श्रेप्तर कुछ मागो |
लेकिन यदि तुम्हारे अनुसरण से भिर् भो
भेरी कोई सत्ता हे
तो उसे आक्रान्त मत करो । अवसर दो
कि वह पनप सके प्रसन
खुली धूप और ताजी ह॒वा में
उसे भपनी शबित से नष्ट मत करो,
उससे शवित ग्रहण करो, बयोकि तुम्हे
आत्मजया १३
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